
बारां (baran). राजस्थान के बांरा जिले में स्थित एक थाने के थानेदार हैं ये.... नाम है उत्तम सिंह। जैसा नाम है वैसा ही उत्तम काम किया है इन थानेदार ने। सीसवाली थाने में ये तैनात हैं। दरअसल पुलिसिंग से अलग ऐसा काम किया है उत्तम सिंह ने कि अब इनकी चर्चा बांरा जिले से सैंकड़ो किलोमीटर दूर जयपुर में स्थित पुलिस मुख्यालय तक हो रही है। दरअसल उत्तम सिंह ने एक घर को टूटने से बचाया है। अलग होने के लिए हजार बहाने लेकर आए पति पत्नी को साथ रहने के कुछ जरूरी पहलू बताए और उसके बाद दोनो के हाथों से एक दूसरे को माला पहनावकर गले भी लगवा दिया। गले लगने के बाद दोनो की आखों से आसूं बहते रहे , ये आसूं सारे गिले शिकवे धोते चले गए। दोनो ने उत्तम सिंह का आर्शीवाद लिया और उसके बाद अपने घर को चले गए।
थानेदार ने एक परिवार टूटने से बचाया
दरअसल बांरा जिले के सीसवाली थाना इलाके में रहने वाले दम्पत्ति थाने पर पहुंचे थे। सत्यनारायण और उसकी पत्नी सुगना में काफी समय से विवाद चल रहा था। सत्यनारायण ने करीब आठ महीने पहले अपनी पत्नी को उसके पीहर में छोड़ दिया और साथ ही बेटे को भी मां के हवाले कर दिया। दोनो के बीच बातचीत पूरी तरह से बंद हो गए। यही कारण रहा कि सुगना ने पति के खिलाफ सीसवाली थाने में परिवाद दे दिया। परिवाद में पति के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए गए। शारीरिक और मानसिक प्रताडना के गंभीर आरोपों के बारे में जब थानेदार उत्तम सिंह को पता चला तो वे भी चौंक गए।
दोनो कपल को बुलाकर की काउंसलिंग
उन्होंने सत्यनारायण को बुलाया और उसके बाद परिवाद देने वाली उसकी पत्नी सुगना को भी बुलाया। दोनो को अपने कक्ष में ले जाकर दोनो से बातचीत की। पहले सुगना को बोलने का मौका दिया गया। उसने अपने पति और परिवार की सैंकड़ों कमियां गिना दी और पति पर गंभीर आरोप लगाए। वहीं पति ने भी पत्नी पर गंभीर आरोप लगाए। उत्तम सिंह जान गए कि मामला सिर्फ मन मुटाव का है। उन्होनें थोड़ा पुलिसिया अंदाज में और थोड़ा परिवारिक अंदाज में दोनो को समझाया। दोनो के परिवार के सदस्यों की भी परेशानी सुनी। उसके बाद पति और पत्नी दोनो को साथ रहने के लिए तैयार किया। थाने में ही फिर से सांकेतिक वरमाला कराई गई।
उत्तम सिंह ने कहा कि अगर महिला उत्पीड़न का केस रहता है तो काउंसलिंग सबसे अहम है। वही हमने की है। छह महीने दोनो साथ रहेंगे। नजर रखी जाएगी कि मन मुटाव नहीं हो। उम्मीद है कि वह नहीं ही होगा। परिवार बस जाए और बच्चों के भविष्य पर काम हो, इससे अच्छा क्या हो सकता है...।
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