
बाड़मेर. राजस्थान का रेगिस्तानी इलाका जहां इन दिनों तापमान 40 डिग्री पार कर चुका है। शहरों में तो पानी की किल्लत होना शुरू हो ही चुकी है। लेकिन इन रेगिस्तानी इलाकों में हमेशा से पानी की कमी रहती है। फिर चाहिए सर्दी हो या गर्मी, हालांकि अब यहां धीरे-धीरे पानी की पाइपलाइन डालने के लिए काम शुरू हो रहा है लेकिन इसे पूरा होने में कई दशक लग जाएंगे। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल हमारे मन में यही होता है कि आखिर रेगिस्तान में पानी कैसे मिलता होगा।
राजस्थान के रेगिस्तान में रामसर का पार के जरिए लोगों को पानी मिलता है। रामसर का पार एक बड़ा तालाब है। इसमें करीब 120 से 150 छोटे कुएं आते है, जिनकी गहराई करीब 30 से 50 फीट है। इस तालाब से करीब 5 किलोमीटर दूर ही गांव की पहाड़ियां है। जब बारिश होती है तो पहाड़ियों का पानी तालाब में आता है। यह तालाब गांव के लोगों ने ही तैयार किया था। इसके बाद जब तालाब में पानी आता तो उससे कई दिनों तक लोगों का काम निकल जाता है। पानी की रखवाली के लिए गांव के लोग अलग-अलग बारी में पहरा भी देते हैं। इसके जरिए ही दर्जनों गांवों को पीने का मीठा पानी उपलब्ध होता है।
रेगिस्तान में मानसून में अच्छी बारिश होती है तो अगले 6 से 7 महीने के लिए ग्रामीणों को पीने का पानी उपलब्ध हो जाता है। पशुओं को पानी पिलाने के लिए इसी तालाब से पानी लेकर दूसरे जल स्रोत बनाए जाते हैं। जिससे कि तालाब का पानी खराब ना हो। हालांकि स्थानीय लोग आज भी कहते हैं कि धीरे-धीरे अभी यह पुराने कुएं और इतने कारगर साबित नहीं रहेंगे। ऐसे में जरूरी है कि सरकार और प्रशासन रेगिस्तान में पानी की सप्लाई के लिए रास्ता निकाले।
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