राजस्थान के बाड़मेर जिले के छोटे से गांव उंदखा के रहने वाले गिरधर सिंह रांदा के संघर्ष की कहानी हर किसी को रूला देगी। जिसे 21 परीक्षाओं में फेल होने के बाद सफलता मिली है। युवकके परिवार के चार सदस्यों ने बारी-बारी सुसाइड कर लिया है।
बाड़मेर. इंसान जितनी ठोकर खाता है उतना ही ज्यादा संभलता है। यह हकीकत वास्तव में सटीक बैठती है राजस्थान के गिरधर सिंह रांदा पर जो इन दोनों ग्राम विकास अधिकारी के पद पर नौकरी कर रहे हैं। इनका नौकरी लगा कोई आसान बात नहीं थी। 22वीं कोशिश में यह नौकरी लगे हैं। इसके पहले 21 बार इन्हें असफलता ही हाथ लगी। यह अपनी रिश्तेदारी और परिवार में सरकारी नौकरी लगने वाला पहला शख्स है।
बाड़मेर के कॉलेज से किया ग्रेजुएशन
यह राजस्थान के बाड़मेर जिले के छोटे से गांव उंदखा के रहने वाले हैं। 1 जुलाई 1993 को इनका जन्म किसान बसंत सिंह के घर पर हुआ। जिनके दो बेटे और चार बेटियां हैं। हालांकि इनमें से एक की मौत हो चुकी है। गिरधर ने अपनी शुरुआती पढ़ाई गांव में ही पूरी की। और फिर बाड़मेर मुख्यालय पर स्थित कॉलेज से ग्रेजुएशन करने के बाद लगातार सरकारी नौकरी की तैयारी में लग गए।
कांस्टेबल से लेकर अफसर तक दी परीक्षाएं
2013 के करीब ग्रेजुएशन पूरी करने के बाद उन्होंने राजस्थान में रोडवेज बस कंडक्टर होमगार्ड पुलिस कांस्टेबल बैंक चपरासी बैंक पीओ वनपाल वनरक्षक पटवारी एलडीसी ग्राम पंचायत सहायक समेत कुल 21 परीक्षाएं दी। आखिरकार ग्राम विकास अधिकारी परीक्षा में यह पास हुए।
पहले दादी-2 चाचा और फिर भाई ने कर लिया सुसाइड
गिरधर बताते हैं कि परिवार का मूल आय का साधन खेती थी। लेकिन उन पैसों से घर चलना भी मुश्किल था। आर्थिक तंगी के चलते पहले दादी और फिर 2 चाचा ने सुसाइड किया। इनके बड़े भाई रघुमान सिंह ने भी केरोसिन डालकर आत्महत्या कर ली। तब से ही गिरधर ने सोच लिया था चाहे कुछ भी हो परिवार के हालात बदलने हैं। बस फिर क्या था यह लगातार मेहनत में जुटे रहे और आज इस मुकाम तक पहुंचे हैं।