आपकी शादी में बैंड बजाएंगे जेल के कैदी! खर्च होंगे इतने रु., करना होगा ये काम

बीकानेर जेल में 18 कैदियों की एक बैंड टीम तैयार की जा रही है, जिन्हें संगीत के विभिन्न वाद्ययंत्र बजाने की ट्रेनिंग दी जा रही है। इस पहल का उद्देश्य कैदियों को एक नया कौशल सिखाना और उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ना है।

बीकानेर में कैदियों की बैंड टीम। बीकानेर जेल ने एक अनूठी पहल की शुरुआत की है। जिसमें 18 बंदियों की बैंड टीम तैयार की जा रही है। इस टीम में वे कैदी शामिल हैं, जो संगीत प्रेमी हैं और जिन्होंने अलग-अलग इंस्ट्रूमेंट्स बजाने की ट्रेनिंग हासिल की है। इस पहल का उद्देश्य न केवल सजा काट रहे लोगों को एक नया कौशल सिखाना है, बल्कि उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए एक मौका देना है।

बीकानेर जेल के प्रशासन ने बंदियों की चयन प्रक्रिया में विशेष ध्यान दिया। केवल उन्हें शामिल किया जो विश्वसनीय माने जाते हैं। इन्हें संगीत के विभिन्न उपकरण जैसे शहनाई, तुरही, ड्रम, बास ड्रम, डफ, बिगुल, भोंपू, ताल और पतासा बजाना सिखाया जा रहा है। इसके साथ ही कैदियों को पुलिस के बैंड मास्टर से भी ट्रेनिंग दी जाएगी ताकि वे बैंड बजाने में निपुण हो सकें।

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जानें कितने रुपए में बुक कर सकते हैं कैदियों की बैंड टीम?

कैदियों वाली बैंड टीम की बुकिंग जल्द ही शुरू होगी। 3 घंटे के लिए 5600 रुपये देकर बुक कर सकेंगे। कमाई का 50 फीसदी हिस्सा कैदियों के खाते में जाएगा, जबकि बाकी 50 फीसदी राशि जेल की रखरखाव पर खर्च की जाएगी। इससे न केवल कैदियों को आर्थिक सहायता मिलेगी, बल्कि उनके लिए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। जबकि अन्य रूटिंग बैंड वालों की बुकिंग ही करीब 21000 रुपए से शुरू होती है और यह करीब 2 लाख तक जाती है।

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कैदियों को मिलेगी म्यूजिक थेरेपी

बीकानेर जेल का ये प्रयास बंदियों को संगीत के माध्यम से 'म्यूजिक थेरेपी' प्रदान करेगा, जिससे वे सकारात्मक सोच और मानसिक शांति प्राप्त कर सकेंगे। इसके अलावा ये पहल कैदियों के पुनर्वास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस पहल का स्वागत करते हुए जिला कलेक्टर नम्रता वृष्णि ने बजट की व्यवस्था की है। जिससे जरूरी म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट्स खरीदे जाएंगे। जेलर सूरज सोनी और उनकी टीम के मार्गदर्शन में बैंड तैयार किया जा रहा है।

राजस्थान के कई शहरों में कैदी चलाते है पेट्रोल पंप

बीकानेर जेल में शुरू की गई इस नई पहल की सफलता के बाद, ऐसी ही पहल अन्य जेलों में भी की जा सकती है। उल्लेखनीय है कि राजस्थान के कई शहरों में कैदी पेट्रोल पंप पर भी काम कर रहे हैं । पिछले कुछ सालों से राजस्थान में जेल प्रशासन ने यह प्रयोग किया है और यह सफल रहा है।

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