सार

कोटा के दो युवाओं ने मक्का के दानों से बायोडिग्रेडेबल कैरी बैग तैयार किए हैं जो 6 माह में विघटित हो जाते हैं। इन बैग्स की डिमांड पूरे भारत में बढ़ रही है।

कोटा. राजस्थान के कोटा शहर के दो युवाओं ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। मोहक व्यास और आसिफ नामक इन दोनों युवाओं ने मक्का के दानों से बायोडिग्रेडेबल कैरी बैग तैयार किए हैं, जो पॉलिथीन का एक सस्टेनेबल विकल्प हैं। पॉलिथीन का प्रयोग बढ़ने से पृथ्वी पर प्रदूषण और स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं, जिनका समाधान इन कैरी बैग्स के जरिए किया जा सकता है।

यह है इन अनोखे बैग की खासियत

मक्का के दानों से बने ये कैरी बैग उच्च तापमान (160 डिग्री सेल्सियस) पर मशीनों द्वारा तैयार किए जाते हैं। इन बैग्स की वजन क्षमता 500 ग्राम से लेकर 25 किलो तक होती है और ये लगभग 6 माह में पूरी तरह से विघटित हो जाते हैं, जिससे पर्यावरण को कोई हानि नहीं पहुंचती। यह बैग्स जितने दिखने में सुंदर हैं उससे कहीं ज्यादा यह मजबूती में भी आगे हैं। यानि पॉलिथीन से कहीं ज्यादा बेहतर हैं।

आसिफ और मोहक ने बैग के लिए ठुकरा दी लाखों की जॉब

इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद नौकरी के प्रस्ताव ठुकराकर आसिफ और मोहक ने इस दिशा में कदम बढ़ाया और एक नई पहल की शुरुआत की। शुरुआती दौर में बैग्स की मांग कम थी, लेकिन जैसे-जैसे लोगों को इनके फायदे पता चले, इनकी मांग बढ़ने लगी। वर्तमान में इन कैरी बैग्स की डिमांड इतनी बढ़ गई है कि हर महीने 12 हजार किलो बैग्स का उत्पादन किया जा रहा है।

पूरे भारत में बढ़ी इन बैग्स की डिमांड

ये बैग्स न केवल स्थानीय बाजार में, बल्कि पश्चिम बंगाल, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, जम्मू कश्मीर, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली और राजस्थान के विभिन्न जिलों में भी सप्लाई हो रहे हैं। मोहक और आसिफ की यह पहल न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि यह युवा उद्यमिता के लिए भी प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत करती है।

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