
जयपुर. राजस्थान में विधानसभा चुनाव के बाद अब भारतीय जनता पार्टी अपनी सरकार बनाने जा रही है। भारतीय जनता पार्टी में सीएम फेस को लेकर अब लगातार बैठकों का दौर जारी है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने के पहले मुख्यमंत्री लगातार अपनी गारंटियों के बलबूते सरकार को रिपीट करने का दावा कर रहे थे। लेकिन उनका जादू मोदी मैजिक के आगे फीका पड़ गया।
फ्री मोबाइल भी नहीं बदल सके रिवाज
गहलोत सरकार ने फ्री मोबाइल बांटने से लेकर चिरंजीवी योजना में इलाज का दायरा बढ़ने से लेकर अनेकों घोषणाएं की लेकिन इसके बाद भी राजस्थान में जनता ने हर 5 साल बाद सरकार बदलने का रिवाज कायम रखा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि राजस्थान में भाजपा की जीत का कारण क्या रहा।
सनातन और हिंदुत्व बड़ा जीत का कारण
बाकी राज्यों की तरह राजस्थान में भी भाजपा ने यह चुनाव हिंदुत्व के कार्ड पर ही जीता है। यहां हिंदूवादी नेता और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कई सभा और रोड शो करवाए गए। केवल इतना ही नहीं यहां पर कई महंत और संतों को टिकट दी गई। जिन्होंने जीत भी हासिल की।
गहलोत की हार का यह भी बड़ी वजह
वहीं यदि बात की जाए कांग्रेस पार्टी की हार की,तो उनकी हर के कई कारण है क्योंकि कांग्रेस के कई मंत्रियों और विधायकों का नाम भ्रष्टाचार में सरकार में रहते हुए ही सामने आ गया। कांग्रेस के शासन में एक के बाद एक राजस्थान में गैंगरेप और पेपरलीक जैसी घटनाओं को लेकर जनता में काफी आक्रोश था। भले ही चुनाव से पहले सचिन और गहलोत एक हो गए लेकिन कहीं ना कहीं गुटबाजी पार्टी में अंदरखाने चलती रही।
यह मुद्दे भी पूरे साल छाए रहे
वैसे तो राजस्थान में कांग्रेस के हारने के कई कारण हैं। लेकिन मुख्य मद्दों में करौली में हुए दंगे और उदयपुर में टेलर कन्हैयालाल की तालिबानी तरीके से हत्या जैसे कई बड़े मुद्दे अहम रहे। राजस्थान में भाजपा ने चुनाव प्रचार का अहम बिंदु बना लिया जिसके आधार पर राजस्थान में ध्रुवीकरण का मुद्दा छाया रहा। वहीं उनके ही सरकार में मंत्री रहे राजेंद्र गुढा की लाल डायरी भी एक बड़ा मुद्दा बना।
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