
जयपुर। इस बार भाजपा ने सांसदों को चुनाव में उतारा है। हालांकि विधायक का चुनाव लड़ने के लिए सिर्फ सात सांसदों को ही टिकट दिया गया है लेकिन इन सांसदों में से भी कइयों को उनकी ही पार्टी के बागियों का डर सता रहा है। सांसदों की इस लिस्ट में सबसे सीनियर सासंद हैं राज्यवर्धन सिंह। वे भारतीय जनता पार्टी से राष्ट्रीय प्रवक्ता तक रह चुके हैं। उनको जयपुर की झोटवाड़ा सीट से विधायक का टिकट दिया गया है।
राज्यवर्धन को पार्टी के ही बागी नेता से चिंता
टिकट मिलने के बाद से राज्यवर्धन को जो डर सता रहा था वह डर उनके ही भाजपा नेता से था। गुरुवार को इस डर को दूर किया जा सका है। इसके लिए खुद अमित शाह को बीच में आना पड़ा। दरअसल राज्यवर्धन सिंह से पहले यहां राजपाल सिंह शेखावत ने चुनाव लड़ा था।
वसुंधरा राजे के करीबी हैं राजपाल सिंह शेखावत
हांलाकि पिछला चुनाव वे हार गए थे। लेकिन उसके पहले वाले चुनाव में उन्हें जीत मिली थी और पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की सरकार में मंत्री पदों पर भी रहे। पूर्व सीएम राजे के बेहद करीबी नेता माने जाने वाले राजपाल को इस बार पार्टी ने टिकट नहीं दिया। जबकि उन्होनें टिकट मिलने से पहले ही प्रचार शुरू कर दिया था।
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वसुंधरा के समझाने पर शेखावत ने नाम वापस लिया
उसके बाद जब टिकट नहीं मिला तो वे निर्दलीय खड़े हो गए। राज्यवर्धन सिंह ने उनसे बातचीत की लेकिन वे नहीं माने और निर्दलीय पर्चा भर दिया। मामला दिल्ली आलाकमान तक पहुंचा तो ऊपरखेमे को भी भाजपा के वोट कटने का डर सताने लगा। आखिर कल रात राजपाल सिंह से बात करने के लिए अमित शाह ने वसुंधरा राजे को भेजा। कल रात और आज सवेरे राजे ने राजपाल से बातचीत की और उनको पार्टी में किसी अच्छे पद का भरोसा दिलाया। इसके बाद जाकर राजपाल ने नाम वापस लिया है और राज्यवर्धन सिंह की चिंता दूर हुई।
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