मर्दानगी बढ़ाने की चाहत में गायब हो रहे भारत से गधे, चीन का चौंकाने वाला कनेक्शन

Published : Oct 15, 2024, 03:05 PM IST
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सार

यूके की एक रिपोर्ट के अनुसार, मर्दानगी बढ़ाने वाली दवाओं और कॉस्मेटिक उद्योग में गधों की खाल के इस्तेमाल के कारण उनकी संख्या घट रही है। इसका असर राजस्थान के खलकानी माता मेले पर भी पड़ा है, जहाँ गधों की संख्या में भारी गिरावट देखी गई है।

जयपुर. हाल ही में यूनाइटेड किंगडम से आई एक रिपोर्ट ने राजस्थान सहित कई राज्यों के पशुपालन विभाग में हड़बड़ी मचा दी है। राजस्थान सहित कई राज्य से लगातार गधे गायब होने पर एक संस्था के द्वारा रिपोर्ट जारी की गई है।यूके बेस्ड संस्था ब्रुक इंडिया की स्टडी रिपोर्ट में गधों की संख्या कम होने का प्रमुख कारण बताया गया है कि मर्दानगी की दवा और कॉस्मेटिक इंडस्ट्री में गधों की खाल का इस्तेमाल किया जा रहा है। राजस्थान में गधे कम होने का असर जयपुर में शारदीय नवरात्र में होने वाले खलकानी माता के मेले पर भी पड़ा है। जहां हर साल पूरे देश से करीब 25 हजार से ज्यादा गधे बिकने के लिए आते थे लेकिन अब मेले में इनकी संख्या केवल 15 ही थी।

अफगानिस्तान और काठमांडू बिकने आते हैं गधे

जयपुर में आयोजित होने वाले इस मेले में केवल भारत ही नहीं बल्कि अफगानिस्तान और काठमांडू जैसे देशों से भी गधे बिकने के लिए आते थे। अब यह रिपोर्ट आने के बाद पशुपालन विभाग भी सकते में पड़ चुका है। लास्ट बार 2019 में लाइव स्टॉक गणना हुई थी। उसके अनुसार देश में 1.02 लाख गधे बचे थे।

मर्दानगी की बढ़ाने के लिए इस गधे की खाल का होता इस्तेमाल

रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन में कॉस्मेटिक इंडस्ट्री में गधे की खाल का उपयोग बड़े पैमाने पर किया जाता है। इतना ही नहीं यहां पुरुषों की मर्दानगी की बढ़ाने के लिए इस गधे की खाल से ही कई दवा का भी प्रोडक्शन किया जाता है। यह दवा इतनी ज्यादा बिकती है कि हर साल वर्ल्ड में करीब 60 लाख गधों को मार दिया जाता है।

महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, बिहार , उत्तर प्रदेश और गुजरात से चीन भेजे जाते गधे

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत के गधों को सीधे ही चीन नहीं भेजा जाता बल्कि पहले इन्हें यहां से नेपाल और फिर नेपाल के रास्ते चीन भेजा जाता है। महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, बिहार , उत्तर प्रदेश और गुजरात के सबसे ज्यादा गधों को चीन में भेजा जाता है। अखिल भारतीय गर्दभ मेला विकास समिति से जुड़े उम्मेद सिंह बताते हैं कि सरकार को ऊंटों के संरक्षण की तरह इनके संरक्षण के लिए भी योजना बनानी चाहिए।

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