राजस्थान में एक बार फिर पूर्व डिप्टी CM सचिन पायलट V/s सीएम अशोक गहलोत के बीच सियासी घमासान मचा हुआ है। 11 अप्रैल इस पॉलिटिकल वार के लिए महत्वपूर्ण दिन है। सचिन पायलट ने जयपुर के शहीद स्मारक पर दिन भर के लिए अनशन का ऐलान किया था और वे पीछे नहीं हटे।
जयपुर. राजस्थान में एक बार फिर पूर्व डिप्टी CM सचिन पायलट V/s सीएम अशोक गहलोत के बीच सियासी घमासान मचा हुआ है। 11 अप्रैल इस पॉलिटिकल वार के लिए महत्वपूर्ण दिन माना जाएगा। सचिन पायलट ने कार्यकर्ताओं के साथ सुबह 10 बजे से जयपुर के शहीद स्मारक पर दिन भर के लिए अनशन का ऐलान किया था, जो शुरू भी किया। इससे पहले 10 अप्रैल को पायलट ने फिर से प्रेस कॉन्फ्रेंस करके अशोक गहलोत का घेरा। उनका आरोप है कि वसुंधरा राजे के CM रहते हुए किए गए घोटालों पर कोई एक्शन नहीं लिया गया।
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पहले बता दें कि पायलट के अनशन में उनके समर्थक मंत्रियों और विधायकों की जगह आम समर्थकों को को तवज्जो दी गई है। यह एक राजनीति रणनीति हो सकती है। पायलट के अनशन ने राजस्थान कांग्रेस में हलचल पैदा कर दी है। पार्टी के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने पायलट के अनशन को पार्टी विरोधी करार दिया है।
राजस्थान में कांग्रेस के 10 साल के कार्यकाल में यह पहला मौका है, जब उनके ही नेता सरकार के खिलाफ अनशन पर बैठे हैं। इस बीच प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा जयपुर में डेरा डाल चुके हैं। इस बीच चर्चा है कि पायलट अपनी ताकत का एहसास कराकर नई पार्टी का गठन कर सकते हैं।
पायलट को लेकर अकसर अटकलें चलती रही हैं कि उनका झुकाव भाजपा की तरफ है। जब पहली बार पायलट और गहलोत के बीच विवाद सामने आया था, तब कयास लगाए जा रहे थे कि सचिन पायलट को सीएम बनाने में भाजपा पीछे से मदद कर सकती है। हालांकि बात आई और गई। अब सचिन पायलट को आरएलपी पार्टी के सांसद हनुमान बेनीवाल अपनी पार्टी में शामिल होने का न्योता दे रहे हैं।
45 साल के सचिन पायलट और 74 साल के अशोक गहलोत के बीच खुन्नस काफी पुरानी है। 25 साल की उम्र में सांसद बनने और फिर केंद्रीय मंत्रिमंडल के बाद राजस्थान कांग्रेस के चीफ रहे सचिन पायलट कांग्रेस सरकार में सीएम बनने का ख्वाब देख रहे थे, लेकिन उन्हें डिप्टी सीएम के पद से संतुष्ट होना पड़ा था। खुन्नस तभी से शुरू हो गई थी।
जब अशोक गहलोत ने मंत्रिमंडल का गठन किया, तो उसमें सचिन पायलट के खेमे को तवज्जो नहीं दी। जब मामला दिल्ली पहुंचा, तो गहलोत सिर्फ 2 नामों पर राजी हुए। खुन्नस यहां से और बढ़ गई।
2020 में जब देश कोरोनाकाल से जूझ रहा था। राजस्थान में ऑपरेशन लोटस की सुगबुगाहट सुनाई पड़ी थी। लेकिन इसकी सूचना सीएम अशोक गहलोत तक पहुंच गई । उन्होंने अपने नेताओं से बातचीत करना शुरू कर दिया अपने नजदीकी नेताओं को बड़ी जिम्मेदारियां सौंपी। आखिरकार पायलट फेल हो गए।
1. नवंबर, 2022 में एक टीवी इंटरव्यू में अशोक गहलोत ने सचिन पायलट को बार-बार गद्दार कहकर पुकारा था। गहलोत ने कहा था कि वो गद्दार है और कभी राजस्थान का मुख्यमंत्री नहीं बन सकता है। इस पर सचिन पायलट ने कहा था, ‘अशोक गहलोत ने मुझे अक्षम, गद्दार कहा है और बहुत सारे आरोप लगाए हैं। ये आरोप झूठे हैं और ऐसे समय में पूरी तरह अनावश्यक हैं, जब हमें भाजपा के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने की जरूरत है।
2. हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद मीडिया के एक सवाल पर सचिन पायलट ने तंज कसा था कि देखिए ये जादू-वादू कुछ नहीं होता है। जादू तो केवल ऊपर वाला करता है। बता दें कि गहलोत को जादूगर भी कहा जाता है।
3. जनवरी, 2023 में किसान सम्मेलन के तहत सचिन पायलट ने 5 जिलों का दौरा किया था। इस दौरान पायलट ने अशोक गहलोत को कोरोना कहा था। इस पर गहलोत ने पलटवार किया था कि एक बड़ा कोरोना तो हमारी पार्टी के अंदर भी आ गया है।
4. एक रैली में पायलट ने कहा था कि 32 सलाखों के पीछे बिना हड्डी की जो जीभ है, उसे संतुलन करना जरूरी है।
5. अब ताजा बयान वसुंधरा राजे के कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार को लेकर है। पायलट ने कहा कि भाजपा के कार्यकाल में जो राज्य में भ्रष्टाचार हुए, उन पर साढ़े चार सालों में कोई कार्यवाही क्यों नहीं हुई? उनका सीधा आशय गहलोत और राजे में सांठगांठ से है।
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