जम्मू कश्मीर में शहीद हुए जवानों को राजस्थान में दी नम आंखों से अंतिम विदाई

जम्मू कश्मीर में शहीद हुए बिजेंद्र सिंह का अंतिम संस्कार हो गया है। उसे सेना के जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर के साथ अंतिम विदाई थी। इस दौरान पूरा गांव नम आंखों से शहीद को अंतिम विदाई देता नजर आया। थोड़ी देर में शहीद अजय सिंह का भी अंतिम संस्कार किया जाएगा।

subodh kumar | Published : Jul 17, 2024 10:22 AM IST / Updated: Jul 17 2024, 06:35 PM IST

झुंझुनू. जम्मू कश्मीर में शहीद हुए राजस्थान के दोनों जवानों का अंतिम संस्कार बुधवार को अपने अपने गांव में किया गया। शहीदों की पार्थिव देह गांव में आते ही हर किसी की आंखें नम हो गई थी। शहीदों को गार्ड ऑफ ऑनर के साथ ही नम आंखों से विदाई दी गई।

दोनों फौजियों का हुआ अंतिम संस्कार

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जम्मू कश्मीर में शहीद हुए राजस्थान के दोनों फौजियों का अंतिम संस्कार हो गया है। राजस्थान के झुंझुनू जिले में रहने वाले दोनों फौजी कुछ दिन के बाद छुट्टियां पर आने वाले थे, ऐसे में एक की छुट्टी टाल दी गई थी और दूसरा तीन दिन आनेवाला था। लेकिन इससे पहले हुई आतंकी मुठभेड़ में दोनों शहीद हो गए और उनकी जगह उनकी पार्थिव देह घर पहुंची।

जयपुर से झुंझुनू लाए जवानों की पार्थिव देह

एक जवान का नाम अजय सिंह था , दूसरे का नाम विजेंद्र सिंह था । दोनों झुंझुनू जिले के अलग-अलग गांव में रहने वाले थे । दोनों जवानों की पार्थिव देह को जम्मू से आज हवाई रास्ते के जरिए जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर लाया गया । उसके बाद सेना के ट्रकों की मदद से झुंझुनू लाया गया । यहां दोनों शहीदों की अंतिम यात्रा निकाली गई।  जिसमें बड़ी संख्या में ग्रामीण और अन्य लोग शामिल थे।

जवान के छोटे छोटे मासूम बच्चे

विजेंद्र सिंह झुंझुनू जिले की डूमोली गांव के रहने वाले थे । उनके भाई दशरथ सिंह ने परिवार को उनकी शहादत के बारे में कल नहीं बताया था । आज सवेरे तक भी विजेंद्र के पिता रामजीलाल खेतों में काम कर रहे थे, लेकिन जब विजेंदर सिंह की पार्थिव देव गांव तक आई तब तक दशरथ सिंह खुद को नहीं रोक सके और पिता से लिपटकर रोने लगे। जब पिता को बेटे की शहादत के बारे में पता चला तो वह अपने आंसू नहीं रोक सके। चाचा और दादा को रोता हुआ देखकर विजेंद्र के बच्चे यह अंदाजा नहीं लग पा रहे थे कि आखिर हुआ क्या है । दोनों बच्चे गांव के अन्य बच्चों के साथ खेत के नजदीक मिट्टी में खेल रहे थे । एक बच्चे की उम्र 4 साल और दूसरा एक साल का है । विजेंद्र 5 दिन पहले ही गांव आने वाले थे , लेकिन और वक्त पर उनकी छुट्टियां रद्द कर दी गई थी ।

खेलते रहे बच्चे, नहीं पता पिता नहीं रहे

जवान के मासूम बच्चों को नहीं पता कि उनके पिता अब नहीं, वे मिट्टी में दूसरे बच्चों के साथ खेलते हुए नजर आए। छोटे छोटे मासूम बच्चों को देखकर हर किसी की आंखें नम हो रही थी।

26 साल के दोनों फौजी

जानकारी के अनुसार दोनों शहीद फौजियों की उम्र महज 26 साल है। ये दोनों साल 2018 में ही फौज में भर्ती ​हुए थे। उन्हें सेना में भर्ती हुए महज 6 साल ही हुए थे। हैरानी की बात तो यह है कि वे छुट्टी पर घर आने का मन भी बना चुके थे। जैसे ही गांव में जवानों की पार्थिव देह पहुंची। घर वालों से लेकर पूरे गांव वालों की आंखें नम हो गई।

यह भी पढ़ें :  डोडा में आतंकियों से मुठभेड़ में राजस्थान का लाल शहीद, कल होगा अंतिम संस्कार

3 साल पहले हुई थी शादी

उधर दूसरे फौजी अजय सिंह का जीवन भी असली फौजी परिवार की तरह रहा है । पिता फौज से रिटायर है । दादा शहीद हो चुके हैं। चाचा फौज में है , जिन्हें हाल ही में वीरता का पुरस्कार मिला है । छोटा भाई सेना में ही डॉक्टर है । अजय की शादी करीब 3 साल पहले हुई थी । वह 18 तारीख को छुट्टी लेकर घर आने वाले थे, लेकिन 17 को उनके पार्थिव देव है घर पहुंची है । मां , पत्नी का बुरा हाल है , गांव में शहीद के लिए नारे लगाए जा रहे हैं।

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