
जयपुर: बिना काम पर आए एक बड़े अफसर की पत्नी के दो साल में 37.54 लाख रुपये 'सैलरी' के तौर पर लेने का मामला तूल पकड़ रहा है। यह घटना राजस्थान की है। अफसर की पत्नी ने यह मोटी रकम सरकारी टेंडर के बदले दो प्राइवेट कंपनियों में फर्जी कर्मचारी बनकर वसूली। इस धोखाधड़ी का खुलासा राजस्थान हाईकोर्ट में दायर एक याचिका के जरिए हुआ। सरकारी विभाग राजकॉम्प इन्फो सर्विसेज के इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी विंग के जॉइंट डायरेक्टर प्रद्युम्न दीक्षित ने अपनी पत्नी पूनम दीक्षित के नाम पर यह गैर-कानूनी पैसा लिया। पूनम दीक्षित को उन प्राइवेट कंपनियों, ओरियनप्रो सॉल्यूशंस और ट्रीजेन सॉफ्टवेयर लिमिटेड में फर्जी तौर पर नौकरी पर रखा गया था, जिन्हें सरकारी टेंडर मिले थे।
टेंडर पास कराने के बदले प्रद्युम्न दीक्षित ने इन कंपनियों से अपनी पत्नी को नौकरी पर रखने और हर महीने सैलरी देने के लिए कहा था। पिछले साल 6 सितंबर को राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश के बाद, एंटी-करप्शन ब्यूरो (ACB) ने इस साल 3 जुलाई को शुरुआती जांच शुरू की।
जनवरी 2019 से सितंबर 2020 तक, ओरियनप्रो सॉल्यूशंस और ट्रीजेन सॉफ्टवेयर लिमिटेड कंपनियों ने प्रद्युम्न दीक्षित की पत्नी पूनम दीक्षित के पांच पर्सनल बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर किए। 'सैलरी' के नाम पर दी गई कुल रकम 37,54,405 रुपये है। इस पूरे समय में पूनम दीक्षित एक बार भी इन दोनों कंपनियों के ऑफिस नहीं गईं।
पूनम दीक्षित की फर्जी अटेंडेंस रिपोर्ट को उनके पति प्रद्युम्न दीक्षित ने ही मंजूरी दी थी। पूनम दीक्षित एक ही समय में दो कंपनियों से सैलरी ले रही थीं। ओरियनप्रो सॉल्यूशंस में फर्जी नौकरी करते हुए, उन्हें ट्रीजेन सॉफ्टवेयर लिमिटेड से 'फ्रीलांसिंग' के नाम पर पैसे मिले। इस दौरान दोनों कंपनियों को सरकारी टेंडर भी मिले थे।
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