राजस्थान के 5 जिलों की सीमा से सटी हरियाणा की 15 विधानसभा सीटों पर चुनावी हलचल का असर राजस्थान में भी दिख रहा है। दोनों राज्यों के बीच पारिवारिक और व्यापारिक संबंध होने के कारण राजस्थान के नेता भी हरियाणा में प्रचार कर रहे हैं।
राजस्थान का हरियाणा विधानसभा चुनाव से कनेक्शन। राजस्थान और हरियाणा के बीच की सीमा पर चुनावी गतिविधियां इस समय चरम पर हैं क्योंकि हरियाणा में विधानसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं। दोनों राज्यों के बीच गहरा संबंध होने के कारण राजस्थान के सीमावर्ती जिलों में हरियाणा के चुनावी प्रचार का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा रहा है। राजस्थान के 5 जिले और हरियाणा की 15 विधानसभा सीटें एक-दूसरे की सीमाओं से सटी हुई हैं। जिससे चुनावी गतिविधियों का सीधा असर राजस्थान पर भी पड़ रहा है।
हरियाणा विधानसभा चुनाव की तैयारी के साथ-साथ प्रत्याशी और पार्टी कार्यकर्ता राजस्थान के सीमावर्ती क्षेत्रों में भी प्रचार में जुटे हुए हैं। यह स्थिति इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि राजस्थान और हरियाणा के बीच पारिवारिक व्यवसाय और धार्मिक कनेक्शन मौजूद हैं। राजस्थान के लोगों की हरियाणा में कई रिश्तेदार और व्यापारिक संबंध हैं। जिससे इन क्षेत्रों में चुनावी गतिविधियां विशेष रूप से महत्वपूर्ण हो जाती हैं।
राजस्थान के 5 जिले हरियाणा से साझा करती है बॉर्डर
राजस्थान के जिन 5 जिलों की हरियाणा से सीमा लगती है। वे हैं हनुमानगढ़, चूरु, झुंझुनू, अलवर और भरतपुर। इन जिलों की सीमा से सटी हरियाणा की 15 विधानसभा सीटें हैं जैसे ऐलनाबाद, डबवाली, रनिया, फतेहाबाद, आदमपुर, लोहारू, तोशाम, बाढड़ा, महेंद्रगढ़, नांगल चौधरी, और अन्य। इन क्षेत्रों में विधानसभा चुनाव की गतिविधियां तेज हो गई हैं और दोनों राज्यों के नेताओं ने सीमावर्ती क्षेत्रों में चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी संभाली है।
तोशाम विधानसभा सीट पर पोते और पोती के बीच मुकाबला
अलवर जिले का हरियाणा से सबसे अधिक जुड़ाव है और यहां पर भाजपा और कांग्रेस दोनों ने अलवर के यादव नेताओं को हरियाणा में प्रचार का जिम्मा सौंपा है। खासकर तोशाम विधानसभा सीट पर बंसीलाल के पोते और पोती के बीच मुकाबला हो रहा है। जबकि ऐलनाबाद से इंडियन नेशनल लोकदल के अभय चौटाला और रेवाड़ी से लालू यादव के दामाद चिरंजीव राव चुनावी मैदान में हैं।
हरियाणा के लोगों का राजस्थान में डेरा
राजस्थान के सीमावर्ती गांवों में लोग अब चुनाव प्रचार के दौरान हरियाणा में डेरा डाले हुए हैं और कुछ तो रोजाना प्रचार कर रात को वापस आ जाते हैं। इस प्रकार दोनों राज्यों के बीच चुनावी गतिविधियां और सियासी तालमेल चुनावी मौसम में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
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