राजस्थान में कलर त्यौहार यानि होली की तैयारियां शुरू हो चुकी है और इसमें जयपुर शहर का नाम नहीं आए ऐसा कैसे हो सकता है। अब यहां गोबर से बना रंग जिसे गोमय गुलाल नाम दिया गया है। एक कारोबारी ने पहली बार बनवाया, अभी लोगों को फ्री सैंपल के लिए दे रहे।
जयपुर (jaipur news). होली के त्योंहार पर जयपुर की बात नहीं हो ऐसा कैसे हो सकता है। जयपुर के गुलाल गोटे होली से पहले दुनिया भर में भेजे जाते हैं। होली में इस बार फिर से जयपुर में एक और नया प्रयोग होने जा रहा है। होली पर गुलाल को और ज्यादा स्क्रीन फ्रैंडली बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। जयपुर के एक कारोबारी ने इसके लिए नया रास्ता निकाला है। इस बार वे गुलाल बनवा रहे हैं गोबर से, पचास से ज्यादा परिवारों को इसके लिए रोजगार दिया गया है। कई किलो गुलाल बनाई जा चुकी है और अब इसे सैंपल के तौर पर बांटा जा रहा है।
गौ पालन का शौक रखने वाले कारोबारी को आया आइडिया
दरअसल जयपुर के रहने वाले कारोबारी संजय छाबड़ा गौ पालन का शौक भी रखते हैं। इस दौरान ही गोबर की सफाई करते देख उनको एक आइडिया आया और शहर के नजदीक ही स्थित केशवपुरा गांव में रहने वाले कुछ परिवारों के साथ मिलकर संजय ने गोमय गुलाल इजाद की हैं। यह गुलाल गाय के गोबर के कंडों को एकदम बारीक पीसकर बनाई जाती हैं। इसके अलावा इसमें कई और पदार्थ मिलाए जाते है।
ये आइटम मिलाने के बाद बनता है गोमय गुलाल
गोबर पीसने के बाद इसमें अरारोट, नैचुरल कलर, फूलों का पाउडर और अन्य नैचुरल उत्पाद मिलाए जाते हैं। इसे दो सौ पचास ग्राम की पैकिंग से शुरु कर पांच किलो के पैक में बनाया जाता है। संजय का कहना है कि यह पूरी तरह से ईको फ्रैंडली है। उसमें कुछ भी अन नेचुरल नहीं हैं । यानि स्किन और बालों के लिए नुकसान का कोई काम ही नहीं है इस गुलाल में। सबसे बड़ी बात इस गुलाल के जरिए पचास से ज्यादा परिवारों को रोजगार मिल रहा है, गौ पालकों को रोजगार मिल रहा है। हालाकि अभी यह लोगों को सेंपल के लिए फ्री में दिया जा रहा है।
गोमय गुलाल के अलावा गाय के गोबर को ट्रीट कर संजय और उनकी टीम मूर्तियां, टाइल्स, घड़ी, नेम प्लेट, चाबी के छल्ले समेत और भी कई उत्पाद बना रहे हैं।
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