जयपुर (jaipur news). राजस्थान में वीरांगनाओं के देवरो को नौकरी देने के मामले को लेकर पिछले करीब 10 दिनों से सियासी घमासान जारी है। कांग्रेस और भाजपा के नेताओं के बीच जमकर बयान बाजी चल रही है। कई बार तो कांग्रेस भाजपा और पुलिस आमने सामने भी हुई। लेकिन इसी बीच सीएम अशोक गहलोत ने इस मामले में अपनी राय एक शब्द में ही दे दी है। जिसके बाद साफ जाहिर है कि इस कार्यकाल में तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार वीरांगनाओं की इस मांग को मांगने के लिए तैयार रही।
वीरांगनाओं की मांग का कोई औचित्य नहीं- सीएम
रविवार को सीकर दौरे पर आए सीएम ने मीडिया से बातचीत में कहा कि भारतीय जनता पार्टी के कई नेता वीरांगनाओं को सड़कों पर उतार कर उनको बेइज्जत करने में लगे हुए हैं। इस तरह की राजनीति राजस्थान को आज पूरे देश में बदनाम कर रही है। सीएम ने कहा कि तीनों वीरांगना जो मांग कर रही है वह मांग ही बेहूदा है। जिसका कोई औचित्य नहीं है। सीएम ने कहा कि यदि मैं उनकी मांग मान भी लेता हूं तो राजस्थान में सैकड़ों वीरांगना हैं उनके परिवार भी इसी तरह की मांग करने लगेंगे तो फिर सरकार क्या करेगी और किस को नौकरी देगी।
विपक्ष को भी जमकर घेरा
सीएम ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी आरोप लगाती है कि कांग्रेस ने शहीदों के परिवारों के लिए कुछ भी नहीं किया। लेकिन वह यह नहीं जानते कि जिस दौरान कारगिल का युद्ध हुआ मैं खुद उस वक्त मुख्यमंत्री था। राजस्थान में 56 शहीदों के अंतिम संस्कार के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए मैं खुद जाकर आया। मैंने उनके परिवारों को 25 लाख रुपए का आर्थिक मुआवजा, नहर के पास जमीन सहित कई राहत के पैकेज दिए। इतना ही नहीं मैंने तो गर्भवती शहीदों की पत्नियों के बच्चों को भी नौकरी देने की घोषणा की। सीएम ने कहा कि शहीदों के माता-पिता को भी हम हर महीने सहायता राशि दे रहे हैं। जिससे कि बुढ़ापे में उन्हें भी कोई तकलीफ ना हो।
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