क्या सचिन पायलट जीत गए या अशोक गहलोत हार गए, जानें दिल्ली में 4 घंटे की मीटिंग के बाद आखिर किसे क्या मिला

राजस्थान में कांग्रेस कलह को दिल्ली आलाकमान दावा कर रही है कि इसे शांत करा लिया है। हालांकि दोनों ही नेता कुछ बोलने को तैयार नहीं, 4 घंटे चली इस स्पेशल क्लास में केसी वेणुगोपाल, मलिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी ने क्या किया, जाने इनसाइड स्टोरी।

Sanjay Chaturvedi | Published : May 30, 2023 12:46 PM IST / Updated: May 30 2023, 06:27 PM IST

जयपुर (jaipur news). मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जयपुर लौट रहे हैं और कुछ देर के बाद यानी शाम होने तक सचिन पायलट भी जयपुर लौटने की तैयारी में है। दोनों नेताओं में विवाद खत्म हो गए हैं, लेकिन फिर भी दोनों साथ जयपुर नहीं लौटे हैं। जयपुर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का आज कोई कार्यक्रम नहीं है। कल जनसभा और अन्य कार्यक्रम पहले से तय हैं, वहीं सचिन पायलट भी कल टोंक जिले में दौरे पर जाएंगे और आंधी तूफान में हुए नुकसान का जायजा लेंगे।

अब सवाल यह है कि दिल्ली में हुई बैठक के बाद क्या पायलट और गहलोत में तकरार खत्म हो गई

इसका जवाब वैसे तो देने वाला कोई नहीं है , लेकिन बताया जा रहा है कि यह तकरार अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है। दरअसल सचिन पायलट और अशोक गहलोत के साथ मल्लिकार्जुन खड़के, केसी वेणुगोपाल और राहुल गांधी ने कल दिल्ली में पहले तो अलग-अलग बातचीत की और उसके बाद दोनों नेताओं को आमने-सामने बिठाकर एक दूसरे से चर्चा की। पहले दोनों पक्षों को तीनों नेताओं ने सुना और उसके बाद संभवत है यह तय किया गया कि फिलहाल अपने व्यक्तिगत हितों को पार्टी के हित के लिए अलग रख दिया जाए। दोनों नेताओं में जो भी तकरार या जो भी समस्या है उसका समाधान पार्टी के नेता अन्य बैठकों में करेंगे , लेकिन अभी एक साथ मिलजुल कर चुनाव लड़ने की तैयारी करनी है, ताकि पार्टी को ज्यादा से ज्यादा सीटें जीती जा सके।

सचिन पायलट और गहलोत को इस तरह समझाया आलाकमान

खरगे और राहुल गांधी ने जिस तरह पहले दोनों नेताओं के बीच में समझौता कराने की कोशिश की थी, इस बार भी उसे ही फॉलो किया गया है। यानी इमोशनल तरीके से और थोड़ा डांट डपट के दोनों नेताओं को साथ लाने की कोशिश की गई है। 4 घंटे चली इस बैठक के बाद जब केसी वेणुगोपाल दोनों नेताओं को लेकर बाहर निकले और मीडिया ने बातचीत करने की कोशिश की तो उन्होंने मीडिया को कोई खास जवाब नहीं दिया। यही कहा कि अब सुलह हो गई है और चुनाव मिलकर साथ लड़ेंगे।

क्या सचिन पायलट को मिल सकती है कोई बड़ी जिम्मेदारी

लेकिन सचिन पायलट और अशोक गहलोत में लंबी बैठकों के बाद सुलह कराने का यह सिस्टम चौथी बार हुआ है। पहले भी तीन बार दोनों नेताओं में कई महीनों तक विवाद रहे और उसके बाद राहुल गांधी या अन्य बड़े नेताओं को सुलह करानी पड़ी। यह ज्यादा दिन तक नहीं टिक सकी और फिर से विवाद सामने आए। यह भी बताया जा रहा है कि इस बैठक में अशोक गहलोत को आलाकमान ने कुछ निर्देश दिए हैं कि वह सचिन पायलट के खिलाफ कोई बयान बाजी ना करें और उन्हें साथ लेकर चुनावों की तैयारी करें। इसके लिए अगर सचिन पायलट मुख्यमंत्री पद के अलावा किसी अन्य पद की मांग करते हैं तो इस बारे में भी गंभीरता से सोचा जाए। हालांकि सचिन पायलट ने किसी भी तरह का पद लेने के बारे में इस बैठक में अपनी इच्छा जाहिर नहीं की।

सीएम गहलोत ने बैठक के बारे में नहीं दी जानकारी

दिल्ली से रवाना होने से पहले आज दोपहर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मीडिया ने 4 घंटे चली बैठक के बारे में जानने की कोशिश की तो मुख्यमंत्री ने वही घुमा फिरा कर जवाब दिए। उनका कहना था कि आलाकमान आने वाले चुनाव पर फोकस कर रहा है, सभी साथ हैं सभी पार्टी के नेता है। चुनाव सभी मिलकर साथ लड़ेंगे। तीन से चार बार मीडिया ने अशोक गहलोत से सवाल पूछने की कोशिश की लेकिन हर बार गहलोत ने यही जवाब दिया।

कुल मिलाकर 4 घंटे की बैठक के बाद यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि यह सुलह अंतिम होगी। इस सुलह के बाद संभव यही है कि दोनों नेताओं में कम से कम चुनाव से पहले तो कोई बगावत या अदावत नहीं होगी। दोनों एक दूसरे का सम्मान करेंगे और चुनाव मिलकर साथ लड़ेंगे। खैर अब देखना होगा कि यह रिश्ता कब तक चलता है।

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