
जयपुर (jaipur news). राजस्थान में अब विधानसभा चुनाव में कुछ ही महीनों का समय बाकी है। लेकिन प्रदेश सरकार के मौजूदा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके सचिन पायलट के बीच विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। एक तरफ जहां अशोक गहलोत महंगाई राहत के शिविरों के जरिए सरकार वापस रिपीट होने का दावा कर रहे हैं। वहीं सचिन पायलट लगातार अपनी सरकार के खिलाफ जाते हुए दिखाई दे रहे हैं। फिर चाहे वह मुद्दा पेपर लीक का हो या वसुंधरा सरकार के समय हुए भ्रष्टाचार का। लगातार सचिन पायलट अपनी ही सरकार को घेरे हुए हैं। सचिन पायलट अब अपनी ही सरकार को 15 दिनों के भीतर पेपर लीक मामले सहित अन्य मांगों पर जांच को लेकर अल्टीमेटम दे चुके हैं। इसी बीच राजस्थान में अब चुनाव से पहले कांग्रेस में हुए इन 2 धड़ों के बीच की दूरियां खत्म करने के लिए आलाकमान लगातार प्रयासरत है।
कर्नाटक जैसी ही स्थिति है राजस्थान में भी
कर्नाटक में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव के बाद सिद्धारमैया और शिवकुमार जैसी स्थिति ही राजस्थान में है। जहां एक ही पार्टी में दो नेता खुद को अहम ब्रह्मास्त्र साबित करने में लगे हुए हैं। कर्नाटक में भी शिव कुमार और सिद्धारमैया के बीच सुलह सोनिया गांधी ने ही करवाई। जिन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दोनों से बात की और आखिरकार रास्ता निकल आया।
सोनिया गांधी ही निकाल सकती है सुलह का रास्ता
अब राजस्थान में भी कांग्रेस के दो गुटों के बीच लड़ाई खत्म करने का एकमात्र रास्ता सोनिया गांधी की निकाल सकती है। पायलट कई बार अपनी सभाओं में कह चुके हैं कि सोनिया गांधी का जो फैसला होगा मतलब मैडम का जो फैसला होगा वही मान लेंगे। लेकिन एक तरफ कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि अब किसी भी हाल में दोनों के बीच कोई समझौता नहीं होने वाला है। लेकिन पायलट की कई सभाओं में जहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और राहुल गांधी समेत कांग्रेस के कई बड़े नेताओं की तस्वीर नहीं थी। लेकिन सोनिया गांधी की तस्वीर उन पर नजर आई थी।
सीएम गहलोत और पायलट के बीच सुलह कराना कांग्रेस के लिए जरूरी
वहीं राजनीतिक जानकारों की माने तो अभी दो गुटों के बीच की लड़ाई खत्म करना कांग्रेस के लिए बहुत ज्यादा जरूरी हो चुका है क्योंकि भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस में गए नेताओं को अब अपनी तरफ खींचने में लगी हुई है। आज ही कांग्रेस के नेता सुभाष महरिया सहित कई दिग्गज भाजपा में शामिल हुए हैं। जबकि सचिन पायलट जैसे मजबूत माने जाने वाले नेता ही अपनी सरकार की खिलाफत कर रहे हैं। ऐसे में चुनाव से पहले जरूरी है कि कांग्रेस अपने भीतर चल रहे इस मनभेद और मतभेद को समाप्त करें...
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