राजस्थान में कांग्रेस सरकार भले ही गुड गवर्नेंस साबित करने के लिए जनता के बीच कितनी घोषणा क्यों न करें लेकिन खुद के घर में लगी आग को नहीं बुझा पा रही है। एक बार फिर सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच की कलह सामने आई है।
जयपुर (jaipur). प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने भले ही जनता के लिए इस बार बजट में कई घोषणाएं कर जनता को राहत दी है। लेकिन इसके बावजूद कांग्रेश खुद के नेताओं को राहत नहीं दे पा रही है। साल 2020 से शुरू हुआ अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच का विवाद एक बार फिर शुरू हो चुका है। अब सचिन पायलट ने यहां तक तो कह दिया है कि यदि उन्हें सीएम नहीं बनाया जाता है यहां पार्टी उन पर फैसला नहीं लेती है तो राजस्थान में हर 5 साल बाद में सरकार बदलने का ट्रेंड होता है।
एक बार सीएम पद को लेकर सामने आया विवाद
आपको बता दें कि राजस्थान में 2020 में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच विवाद शुरू हुआ था। हालांकि बाद में पार्टी के शीर्ष नेताओं ने विवाद को सुलझा भी दिया लेकिन लगातार विवाद खींचता चला आया। किसी ने दूसरे को गद्दार कहा तो किसी ने और कुछ। लेकिन बीते साल जब राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा राजस्थान पहुंची तो पार्टी के आलाकमान ने राजस्थान में बयानबाजी करने वाले नेताओं का मुंह बंद कर दिया। ऐसे में करीब ढाई महीने तक किसी नेता ने कोई बयान बाजी नहीं कि लेकिन अब जब सरकार के शासन में कुछ महीनों का समय बचा है तो वापस विवाद होना शुरू हो गए हैं।
मीडिया से पायलट बोले ये
पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने एक मीडिया हाउस को दिए इंटरव्यू में कहा है कि राजस्थान में हर 5 साल बाद सरकार बदलने का ट्रेंड है। ऐसे में अब आलाकमान को राजस्थान में निर्णय कर लेना चाहिए। वहीं सचिन पायलट ने सितंबर में हुए सरकार के इस्तीफा कांड वाले तीन मुख्य लोगों के खिलाफ कार्यवाही करने की बात भी कही है। पायलट ने कहा है कि किसी भी संगठन में अनुशासन ही सबसे बड़ा होता है।
इधर दूसरे प्रदेश के चुनाव में पायलट मजबूत लेकिन जादू गहलोत का
पार्टी के जानकारों की मानें तो आलाकमान के पास इस वक्त सचिन पायलट का कद भी बहुत मजबूत है क्योंकि इस बार हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में हिमाचल प्रदेश में सचिन पायलट को जिम्मेदारी दी गई थी। बकायदा पिछले सालों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन कर पार्टी ने सरकार बनाई। वही अशोक गहलोत को गुजरात का जिम्मा था। यहां सरकार भी नहीं बन पाई और पार्टी का प्रदर्शन भी पहले से खराब रहा। लेकिन फिर भी पार्टी आलाकमान को गहलोत से कोई भी परेशानी नहीं है। चुनाव हारने के बाद भी आज भी अशोक गहलोत का कद पार्टी आलाकमान में मजबूत माना जाता है। बरहाल राजस्थान में पार्टी आलाकमान का कोई भी बदलाव करने का निर्णय नहीं है।
सचिन पायलट ने शुरू की अपनी तैयारी
भले ही आलाकमान इस पर कोई फैसला नहीं ले रहा हो कि सचिन पायलट का क्या पद या भूमिका रहेगी लेकिन इसी बीच अब राजस्थान में सचिन पायलट ने अपनी व्यक्तिगत पकड़ शुरू कर दी है। सचिन पायलट ने हाल ही में जनवरी में झुंझुनू जिले के उदयपुरवाटी में अपने समर्थित विधायक राजेंद्र गुढ़ा के विधानसभा में एक बड़ा किसान सम्मेलन किया। जिसमें लाखों की संख्या में लोग मौजूद थे। आगामी दिनों में भी सचिन पायलट के कई विधानसभाओं में दौरे हैं। माना जा रहा है कि यह सभी दौरे सचिन पायलट के में को राजस्थान में मजबूत ही करने वाले हैं।
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