राजस्थान में बैठक तो होनी थी बीजेपी पार्टी की, लेकिन इसी बीच ऐसी खबर आई की छूटे कई नेताओं के पसीने, मची खलबली

राजस्थान में इस साल विधानसभा चुनाव होने वाले है। जिसके लिए सभी दिग्गज राजनीतिक पार्टियों ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है। इसी दौरान प्रदेश में बीजेपी पार्टी की मीटिंग होना थी लेकिन इस दौरान ऐसी खबर सामने आई है कि भाजपा के नेताओं में हड़कंप मच गया।

Sanjay Chaturvedi | Published : Apr 2, 2023 9:38 AM IST

जयपुर (jaipur news). राजस्थान में चुनावी साल है। इलेक्शन होने में महज पांच से छह महीने का समय बचा है। इससे पहले पार्टियों ने अपनी पूरी कमर कस ली है। कांग्रेस हो या बीजेपी सभी के केंद्रीय नेतृत्व के नेता और राज्य स्तर के नेता प्रयास में लगे हुए हैं कि पार्टी को कैसे भी करके जिताया जाए। इसी को लेकर राजस्थान में राजधानी जयपुर में आए दिन पार्टी कार्यालय में बड़े-बड़े नेताओं का जमावड़ा लगा रहता है। नेता दिल्ली और दूसरे राज्यों से आकर यहां बैठक लेते हैं। भारतीय जनता पार्टी कार्यालय में भी कुछ ऐसा ही हुआ जहां राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष आए तो थे पार्टी के नेताओं की बैठक लेने के लिए लेकिन जब उन्होंने आरएसएस यानि संघ के कार्यकर्ताओं की बैठक ली तो नेताओं में खलबली मच गई।

5 घंटे की मीटिंग में चुनाव के लिए यह हुआ फिक्स

इस बैठक में केवल 8 से 9 पार्टी के पदाधिकारी और भारतीय जनता पार्टी के दो केंद्रीय नेतृत्व के नेता शामिल हुए। बैठक भी थोड़ी देर नहीं बल्कि 5 घंटे तक चली। माना जा रहा है कि इसी में यह फिक्स हुआ है कि राजस्थान में किन क्षेत्रों में आर एस एस के नेताओं को टिकट मिलेगी। हालांकि इस बारे में पार्टी या संघ ने कोई जानकारी नहीं दी है। वही भाजपा सूत्रों का कहना है कि बैठक तो पार्टी की प्रदेश कोर कमेटी की होनी थी। लेकिन दिल्ली से आए अरुण सिंह और बीएल संतोष ने बिना कोई सूचना दिए या प्रस्तावित कार्यक्रम के आरएसएस की यह बैठक ली है। अब आज पार्टी कार्यालय में दोबारा कोर कमेटी की एक बैठक होगी।

सियासी गलियारों में निकल रहे अलग अलग मायने

आपको बता दें कि राजस्थान या अन्य कोई भी राज्य हो वहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस, भाजपा के साथ चुनावों में खुलकर काम करता है। फिर चाहे बाद टिकट वितरण की हो या अन्य कोई काम। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भारतीय जनता पार्टी से जुड़ा रहता है। पार्टी के कई बड़े नेता संघ से ही तालुकात रखते हैं। वही इस बारे में राजनीतिक जानकारों का कहना है कि जिस नेता की संघ में पहुंच ज्यादा होगी उसका चुनावी कैरियर उतना ही लंबा होगा।

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