19 नए जिलों का मामलाः इतना आसान नहीं है सीएम गहलोत की ऐतिहासिक घोषणा को लागू करना, अपने ही हो सकते है विरोधी

राजस्थान में कांग्रेस सीएम अशोक गहलोत ने बजट के रिप्लाई में प्रदेश में 19 नए जिले के साथ 3 नए संभाग बनाने की घोषणा कर इतिहास रच दिया। पर क्या घोषणा को वास्तविक धरातल में लाना इतना आसान है। जानिए क्या- क्या दिक्कते है इसके पूरा होने में।

 

जयपुर (jaipur news). मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने कार्यकाल के आखिरी बजट के रिप्लाई में राजस्थान में 19 जिले और 3 संभाग बनाने की घोषणा कर नया इतिहास रच दिया है। साथ ही सरकार की गुड गवर्नेंस का मैसेज भी दे दिया है। लेकिन सीएम अशोक गहलोत की इस घोषणा को धरातल पर आते-आते करीब 5 से 7 साल का समय लगेगा। जिसमें करोड़ों का खर्च आने वाला है।

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सालों लग जाएंगे पूरी तरह से जिलें बनने में

अब सबसे पहले जिलों को नोटिफाई करने में करीब 1 से 2 महीने का समय लगने वाला है। इसके बाद विभागों के कार्यालय के लिए भवन आवंटित करने और इसमें कर्मचारियों की नियुक्ति करने के लिए करीब 1 से 2 महीने लगेंगे। इसके बाद भी कर्मचारी 3 महीने तक तो अस्थाई तौर पर ही काम करेंगे क्योंकि इतनी जल्दी रूटीन में आना असंभव है। हालांकि भले ही शुरू में सरकारी विभाग किराए की बिल्डिंग में चले लेकिन इन्हें खुद का भवन मिलने में करीब 2 से 3 साल का समय लगेगा। इसके बाद भी उन भवनों का लोकार्पण होने में भी करीब 1 से डेढ़ साल का समय लग जाएगा। ऐसे में यह आंकड़ा करीब 5 साल के करीब पूरा होगा इसके बाद विभाग अपने रूटीन में आएंगे।

अलग-अलग विभाग में करीब 1 हजार कर्मचारियों की होगी जरूरत

पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव अजीत सिंह के मुताबिक हर जिले में सरकार की करीब 35 से 40 विभाग होते हैं। इनमें हर विभाग का एवरेज करीब 12 से 15 कर्मचारियों का होता है। ऐसे में यदि अनुमान लगाए तो यह आंकड़ा करीब 400 से 500 लोगों का होता है। 19 जिलों में इस आधार पर करीब 10000 कर्मचारियों की जरूरत पड़ेगी। इनकी नियुक्ति होते होते भी करीब 1 से 2 साल का समय लगेगा।

सबसे मुश्किल काम जिलों के परिसीमन का

भले ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जिले और संभाग की घोषणा तो कर दी है लेकिन सबसे बड़ा मुश्किल काम तो राजस्थान में जिलों के परिसीमन और संभाग के परिसीमन का होगा क्योंकि इसमें कई पंचायतें और विधानसभा बनेगी। बजट जारी होने के बाद अभी से ही कई क्षेत्र दूसरे जिले में जाने को लेकर विरोध करना शुरू कर चुके हैं। ऐसे में सरकार के सामने यह बड़ी चुनौती होगी कि कैसे वह सभी क्षेत्र के लोगों को साथ रख परिसीमन करें। इसके साथ ही प्रदेश सरकार को आशंका है कि अपने ही कर सकते हैं इस घोषणा का विरोध।

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