घास क्यों खा रही हैं पुलवामा शहीदों की पत्नियां, दिल दहला देगी वीरांगनाओं ने दुखभरी दास्तां

Published : Mar 10, 2023, 12:01 PM ISTUpdated : Mar 10, 2023, 12:18 PM IST
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सार

राजस्थान में पिछले कई दिनों से पुलवामा हमले में शहीद हुए जवानों की विधवा पत्नियों का धरना जारी है। वह गहलोत सरकार से मांगे पूरी करने के लिए धरने पर हैं। बेबस होकर घास खा रही हैं, लेकिन गहलोत सरकार उनकी एक नहीं सुन रही। 

जयपुर. फोटो राजस्थान की राजधानी जयपुर का है। घांस खा रहीं ये तीनों महिलाएं पुलवामा हमले में शहीद हुए जवानों की पत्नियां हैं जो घास खाने को मजबूर हैं। दरअसल इनका कहना है कि इनके साथ अन्याय हुआ और ये इस बारे में सीएम अशोक गहलोत से मिलना चाहती हैं। लेकिन सीएम ने दस दिन में भी इनसे मिलने का समय नहीं निकाला है। दस दिन में भी इनकी समस्या का समाधान नहीं हो सका है इस कारण ये महिलाएं अपने बच्चों के साथ धरने पर बैठी हैं।

सांसद किरोडी लाला मीणा वीरांगानाओं का दे रहे साथ

सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का यह अनोखा तरीका निकाला गया है। इस धरने प्रदर्शन को भाजपा के नेता और सांसद किरोडी लाल मीणा लीड़ कर रहे हैं। दस दिन में पच्चीस से भी ज्यादा दिग्गज भाजपा नेता और इस धरने प्रदर्शन को समर्थन दे चुके हैं। लेकिन उसके बाद भी सरकार झुकने को तैयार नहीं है।

गहलोत सरकार से मिन्नतें कर रहीं शहीदों की पत्नियां

पुलवामा हमले में राजस्थान के कई जवान शहीद हुए थे। इनमें से तीन जवानों की पत्नियां मंजू लाटा, सुंदरी देवी और मधुबाला मीणा अपने बच्चों के साथ और परिवार के लोगों के साथ धरने पर है। उनकी मांग है कि उनके परिवार के नजदीक रिश्तेदार को सरकार नौकरी दे। जिससे उनका घर चल सके। जबकि सरकार का कहना है कि शहीदों के बच्चों को ही नौकरी देने का प्रावधान है, बच्चे छोटे हैं तो बालिग होने तक उनकी नौकरी रिजर्व रखी जाती है और बाद में नौकरी दी जाती है। जबकि शहीदों की पत्नियों का कहना है नौकरी की जरुरत अभी है, ताकि परिवार चल सके। लेकिन सरकार ये मानने को तैयार नहीं है। अब तीनों महिलाएं सीएम गहलोत से मिलने की कोशिश में हैं लेकिन बताया जा रहा है कि बीती रात तीनों को धरने से हटा दिया गया है और अलग अलग जगहों पर ले जाया गया है।

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