राजस्थान में पिछले चार सालों से जारी पूर्व डिप्टी सीएम पायलट और सीएम अशोक गहलोत के बीच जारी जंग थमने का नाम नहीं ले रही है। पूर्व वसुंधरा सरकार में हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन को बताया जायज। साथ ही पार्टी आलाकामान के सामने भी अपनी बात पर टिके रहे।
जयपुर (jaipur news). राजस्थान में विधानसभा चुनाव में अब करीब 6 महीने से भी कम का समय बचा हुआ है। एक तरफ जहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार रिपीट करने के लिए राहत कैंप और लगातार मैराथन दौरे का रूट तैयार कर रहे हैं। इसी बीच एक बार फिर राजस्थान में कांग्रेस पार्टी में खींचतान बुरी तरह से उजागर हुई है। हाल ही में अनशन करने के बाद सचिन पायलट को पार्टी आलाकमान ने दिल्ली बुलाया था।
भ्रष्टाचार के लिए कार्रवाही की मांग कांग्रेस विरोधी कैसे?
जहां सचिन पायलट ने आलाकमान को कह दिया कि उन्होंने केवल भाजपा राज में हुए भ्रष्टाचार को उजागर करने या उनकी जांच करने की बात को लेकर अनशन किया था। यह बात कांग्रेस विरोधी कैसे हुई। पार्टी आलाकमान के सामने सचिन पायलट ने यह तक कह दिया है कि चाहे कुछ भी हो वह पीछे हटने वाले नहीं हैं जब तक उनकी मांग सरकार नहीं मान लेती है। आपको बता दें कि राजस्थान में 2020 में हुए पॉलिटिकल ड्रामे के बाद से लगातार ही गहलोत और सचिन पायलट के बीच आपसी खींचतान जारी है।
4 सालों में नहीं तय हो पाई सचिन की भूमिका
वहीं कांग्रेस ने साढ़े 4 साल में भी सचिन पायलट की भूमिका तय नहीं की। ऐसे में उनका गुस्सा अब और ज्यादा बढ़ता जा रहा है। पार्टी सूत्रों की मानें तो सचिन पायलट अब पार्टी में रहकर ही पार्टी को घात लगाने का काम करेंगे। सचिन पायलट के पास अब करीब 25 विधायक है। ऐसे में अब धीरे-धीरे पायलट खेमा भी मजबूत होता जा रहा है। वही मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास भी भ्रष्टाचार मामले को लेकर सचिन पायलट के समर्थन में है।
पार्टी हाइकमान कैसे सुलझाएगा विवाद
ऐसे में अब देखना होगा कि पार्टी आलाकमान इससे पॉलिटिकल ड्रामा को सुलझाने के लिए आखिरकार क्या रास्ता निकालता है। वही राजस्थान में एक बार फिर निजामुद्दीन का जी को सह प्रभारी बनाया गया है। निजामुद्दीन का जी सचिन पायलट के करीबी बताए जाते हैं। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि निजामुद्दीन काजी को यह जिम्मेदारी केवल और केवल गहलोत और पायलट के विवाद को सुलझाने के लिए दी गई है।
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