
जयपुर. देशभर में आज कारगिल विजय दिवस की रजत जयंती मनाई जा रही है। कारगिल युद्ध का नाम आते ही राजस्थान का नाम कोई भूल नहीं सकता। अकेले राजस्थान से इस युद्ध में 60 सैनिक शहीद हुए। कोई सैनिक अपने पीछे हंसता-खेलता परिवार छोड़कर गया तो कोई अपनी गर्भवती पत्नी को.....।
चिट्ठी लिखकर बताते थे अपना हाल
इस युद्ध में राजस्थान के जोधपुर जिले के सैनिक कालूराम शहीद हुए। ड्यूटी पर रहने के दौरान वह हमेशा अपने परिवार को चिट्ठी लिखकर अपना हाल बताते थे। कारगिल युद्ध के दौरान उन्होंने एक चिट्ठी लिखी। यह चिट्ठी उन्होंने 4 जुलाई को घर पर भेजी थी। लेकिन इसी बीच युद्ध में वह शहीद हो गए। 6 जुलाई को उनका पार्थिव शरीर तिरंगे में लिपटकर घर पर पहुंच गया, लेकिन वह चिट्ठी उनके घर पर 10 जुलाई को आई।
जाट बटालियन की टुकड़ी में शामिल थे कालूराम
कारगिल क्षेत्र में पिंपल पॉइंट पर पाकिस्तान के फौजियों ने कब्जा कर लिया था। ऐसे में यहां से पाकिस्तान के जवानों को खदेड़ने के लिए 17 जाट बटालियन की टुकड़ी को भेजा गया। कालूराम भी इस टुकड़ी में शामिल थे जिनके पास एक मोर्टार था। उन्होंने 4 जुलाई को दो 2 बंकर तो नष्ट कर दिए और कई पाकिस्तान के फौजियों को भी मार गिराया। लेकिन जब पाकिस्तान की सेना ने फायरिंग करना शुरू किया तो देश की रक्षा करते हुए कालूराम जाखड़ शहीद हो गए।
खत में लिखी थी ये बात
साल 1999 में जनवरी महीने में ही वह पोस्ट पर गए थे। इसके पहले वह कई दिनों तक घर पर थे। जब घरवालों को उनका आखिरी खत मिला तो उसमें लिखा था कि मैंने युद्ध मैदान से ही चिट्ठी लिखी है। उन्होंने लिखा कि मेरी चिंता मत करना उन्होंने इस चिट्ठी में परिवार के सभी लोगों को अपना ध्यान रखने की बात कही।
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शहीद की पत्नी ने भी किया नाम रोशन
आपको बता दे कि कालूराम जाखड़ 28 अप्रैल 1994 को भारतीय फौज में भर्ती हुए। सिपाही के पद पर उनकी पहली पोस्टिंग हुई। पति की शहादत के बाद उनकी वीरांगना संतोष ने गांव की बेटियों को शिक्षा देने के लिए शाहिद कोटे से मिलने वाले पैकेज से सरकारी स्कूलों में कमरे भी बनवाए।
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