
शेखावटी. जब भी कारगिल की लड़ाई की बात होती है, तो हमेशा शेखावाटी का नाम सबसे पहले आता है। शेखावाटी ही राजस्थान का एक ऐसा क्षेत्र है, जहां से करीब 50 से ज्यादा सैनिक कारगिल की लड़ाई में शहीद हुए थे। इतना ही नहीं, सैकड़ों सैनिक ऐसे हैं, जिन्होंने कारगिल में लड़ाई लड़ी। सीकर के एक शहीद ऐसे भी हैं, जो मई के महीने में छुट्टी आने वाले थे। इसके लिए उन्होंने घर वालों को लेटर भी लिखा था, लेकिन जिस महीने उन्हें घर आना था, उसी महीने वह शहीद हो गए। परिवार उनका इंतजार करता रहा, लेकिन तिरंगे में लिपटा हुआ शव ही वापस घर पर लौटा।
कारगिल विजय दिवस-पाकिस्तान युद्ध और शेखावटी के बहादुर शहीद
हम बात कर रहे हैं राजस्थान के सीकर जिले के रहने वाले बनवारीलाल की। बनवारीलाल साल 1996 में सेना में भर्ती हुए थे। 1999 के समय उनकी पोस्टिंग कश्मीर में ही थी। वह पेट्रोलिंग करने के लिए अपने कैप्टन सौरभ कालिया और बाकी साथी जवानों के साथ बजरंग पोस्ट पर गए थे। इसी दौरान वहां घात लगाए बैठे पाकिस्तान के जवानों ने उन्हें अपने कब्जे में ले लिया और फिर सभी को अपने साथ पाकिस्तान ले गए। इसके बाद उन पर अत्याचार किया। उनके आंख निकाल लीं, गला काट दिया। इसी के बाद पाकिस्तान से युद्ध के आसार बनने लगे थे। फिर जब पाकिस्तानी सैनिकों और घुसपैठियों ने LOC क्रॉस की, तब 3 मई से युद्ध छिड़ गया था।
आखिरकार 9 जून को पाकिस्तान ने बनवारी लाल का शव भारत की सीमा में भेजा, जिसके बाद पार्थिव देह घर लौटी। एक तरफ जहां परिवार अपने बेटे का इंतजार कर रहा था, लेकिन उन्हें एक दिन पहले ही पता लगा कि कल बेटे का शव आने वाला है और उसका अंतिम संस्कार करना है।
कारगिल युद्ध और शेखावटी के सैनिक का अंतिम लेटर
बनवारी लाल ने अपनी पत्नी को 15 मार्च 1999 में एक पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने कहा था कि मैं यहां एकदम से कुशल हूं उम्मीद है कि आप भी वहां कुशल हो। आपका कागज मिला बहुत खुशी है। परिवार में सभी को मेरी तरफ से नमस्कार और राम-राम कहना। जैसा तुमने सोच रखा है वैसा कुछ भी नहीं है। हम तुझसे नाराज नहीं हो सकते, लेकिन तू नाराज मत होना। तुम्हारे शरीर का ख्याल रखना, हमारी तरफ ज्यादा ध्यान नहीं देना।
इसी लेटर में जवान ने जिक्र किया कि उसकी छुट्टी सैंक्शन होने गई है वह भी 2 महीने की। ऐसे में वह मई में घर लौट आएगा। हालांकि ऐसा नहीं हो सका। बनवारी लाल ने यह लेटर 15 मार्च, 1999 पत्नी संतोष को लिखा था।
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