राजस्थान का अजब गजब मामला: रेप के केस में गलत जांच से कोर्ट ने पुलिस को लगाई फटकार, SP-SHO अपनी सैलरी से दे मुआवजा

राजस्थान में एक अजब केस सामने आया है। यहां एक लड़के को बिना जुर्म के पुलिस ने 1 साल तक जेल में बंद रखा। बेगुनाह साबित होने के बाद अब एसपी समेत अन्य पुलिस वाले चुकाएंगे लाखों रुपए। कोर्ट ने कहा 2 महीने में पैसे जमा करा दें नहीं तो...

कोटा (kota news). देश का कोई भी राज्य हो लेकिन लगभग हर राज्य में पुलिस की यही छवि रहती है कि पुलिस रिश्वत लेती है और भ्रष्टाचार में लिप्त रहती है। राजस्थान में भी पुलिस की कहानी जुदा नहीं है। रिश्वत लेने के मामले में राजस्थान का पुलिस महकमा दूसरे नंबर पर है। लेकिन अब जो केस सामने आया है वह हैरान करने वाला है। पुलिस को अब रुपए चुकाने होंगे और वह भी हजारों नहीं लाखों रुपए। राजस्थान में कोर्ट ने कोटा जिले की पुलिस के लिए इसी तरह का आर्डर किया है। एसपी, एसएचओ समेत दो अन्य पुलिस वालों पर गंभीर आरोप लगे हैं कि उन्होंने एक निर्दोष लड़के को 1 साल तक जेल में रखा। अब कोर्ट ने उसके परिवार को 300000 देने के लिए एसपी को आर्डर किए हैं , यह पैसा 2 महीने के अंदर अंदर कोर्ट में जमा कराया जाना है ।

रेप केस में युवक को किया गया था अरेस्ट

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कोटा जिले की पोक्सो कोर्ट ने यह फैसला शनिवार को सुनाया है। बचाव पक्ष के वकील सादिक ने बताया कि अगस्त 2020 में कोटा के रामपुरा थाना क्षेत्र में रहने वाले एक व्यक्ति ने अपनी 22 साल की बेटी के साथ रेप होने का केस दर्ज कराया था। बोलने सुनने में अक्षम बेटी को पेट दर्द होने के बाद जब अस्पताल में दिखाया गया तो डॉक्टरों ने कहा कि बेटी 4 से 5 महीने की गर्भवती हो सकती है । जांच में सामने आया कि बेटी गर्भवती है। उसके बाद मामला पुलिस तक पहुंचा।

दिव्यांग पीड़िता ने युवक की तरफ किया इशारा

पुलिस ने इशारों में पीड़िता से बातचीत की तो उसने नजदीक ही रहने वाले 21 साल के एक लड़के के तरफ इशारा किया। पुलिस ने उसे 14 सितंबर 2020 को गिरफ्तार कर लिया। हालांकि उसका कोई अपराधिक रिकॉर्ड नहीं था, ना ही उसके किसी परिवार के सदस्य के खिलाफ कभी कोई केस दर्ज हुआ था। लेकिन पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया और उसे जेल भेज दिया गया।

पुलिस और वकील अपना- अपना काम करते रहे

बचाव पक्ष के वकील ने डीएनए जांच समेत अन्य कई तरह की जांच दस्तावेज कोर्ट में पेश की है। कोर्ट ने करीब 20 गवाहों को सुना और 38 से 40 दस्तावेज कोर्ट के समक्ष रखे गए, किसी भी दस्तावेज में सबूत नहीं मिल सके कि लड़के ने लड़की के साथ रेप किया है। उधर एसपी ने इस मामले में चार्जशीट पेश करने के आर्डर दे दिए और चार्जशीट कोर्ट में पेश कर दी गई। इस दौरान करीब 1 साल तक लड़का जेल में रहा, लेकिन बाद में सबूतों के अभाव में उसकी जमानत हो गई। यह केस लगातार जारी रहा और शनिवार को पोक्सो कोर्ट ने लड़के को बरी कर दिया और इस पूरे मामले में रामपुरा थाने के तत्कालीन एसएचओ पवन कुमार, जांच अधिकारी उदयलाल और एसपी के खिलाफ गंभीर टिप्पणी की ।

कोर्ट ने पुलिस को लगाई फटकार

कोर्ट ने कहा कि एसपी ने अपने दिमाग का बिल्कुल इस्तेमाल नहीं किया। नाही एसएचओ ने मैच्योरिटी दिखाई। 1 साल तक निर्दोष लड़के को जेल में बंद रखा गया जिसके कारण शारीरिक और मानसिक नुकसान तो हुआ ही साथ ही समाज में छवि खराब हुई है सो अलग। इसलिए कोर्ट ने 2 महीने के भीतर एसपी और इस केस से जुड़े हुए अन्य पुलिस अधिकारियों के पगार में से 3 लाख रुपए लड़के के परिवार को देने के निर्देश दिए हैं। यह पैसा कोर्ट में जमा कराया जाना है।

अब पुलिस के सामने दूसरा सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि 22 साल की जिस मूक-बधिर लड़की से रेप किया गया है उसमें आरोपी कौन है, 3 साल पहले जो केस दर्ज हुआ था वह वही का वही खड़ा है।

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