भारत का एक ऐसा रहस्यमयी शिव मंदिर, जहां भगवान शंकर दिन में तीन बार बदलते हैं अपना रूप...होते हैं चमत्कार

Published : Feb 16, 2023, 11:28 AM ISTUpdated : Feb 16, 2023, 02:57 PM IST
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सार

18 फरवरी को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन करोड़ों भक्त अपने आराध्य भगवान शिव की पूजा-अर्चना कर रात जगरण कर व्रत रखते हैं। इस मौके पर जानिए चंबल के बीहड़ों में बने चमत्कारी मंदिर के बारे में, जहां शिवलिंग दिन में तीन बार अपना रूप बदलता है। 

धौलपुर (राजस्थान). अक्सर हमने पौराणिक कथाओं में भगवान शिव के कई रूप सुने होंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं राजस्थान में एक ऐसा मंदिर है जहां भगवान शिव का एक ऐसा भी मंदिर है जहां भगवान की कोई अवतार तो नहीं है बल्कि भगवान दिन में तीन बार अपना रंग बदलते हैं। आपको इस मंदिर के शिवलिंग के उस अनोखे रहस्य के बारे में बताते हैं, जिसके बदलते रूप को देखकर हर कोई हैरान रह जाता है।

चंबल नदी के बीहड़ों में बना है ये चमत्कारी मंदिर

दरअसल, हम बात कर रहे हैं राजस्थान के धौलपुर जिले में स्थित अचलेश्वर महादेव की। इस मंदिर में भगवान शिव की शिवलिंग का रंग तीन बार बदलता है। यह मंदिर चंबल नदी के बीहड़ों में मौजूद है। जिसे देखने के लिए साल भर यहां हजारों श्रद्धालु आते हैं। आसपास के लोग बताते हैं कि इस मंदिर में शिवलिंग का रंग सुबह लाल दोपहर में केसर और शाम को गेहूं का हो जाता है। अब कुछ लोग इसे भगवान का चमत्कार मानते हैं तो वैज्ञानिकों का कहना है कि चमत्कार जैसा कुछ नहीं बल्कि सूर्य की किरणों के चलते शिवलिंग का रंग बदलता है।

शिवलिंग की गहराई को देखने के लिए की गई थी खुदाई...लेकिन नहीं मिला छोर

धौलपुर जिले का यह अचलेश्वर मंदिर करीब 25 साल पुराना है। जिसमें एक बड़ी नंदी की मूर्ति भी लगाई गई है। इसके अलावा मंदिर की एक मान्यता यह भी है कि जब मुस्लिम सुल्तानों ने राजस्थान में मंदिरों पर आक्रमण शुरू किया तो नंदी की मूर्ति ने आक्रमणकारियों पर हजारों मधुमक्खियों को छोड़ दिया था जिसके बाद बिना मंदिर तोड़े ही आक्रमणकारी उल्टे पांव लौट गए। वही करीब 5 साल पहले शिवलिंग की गहराई देखने के लिए वहां खुदाई की गई तो करीब 100 फुट से ज्यादा खोजने पर भी शिवलिंग का आखिरी कोना नहीं मिल पाया। ऐसी खुदाई को ही बीच में रोक दिया गया।

अचलेश्वर महादेव में होती है मनचाही इच्छा पूरी

धौलपुर जिले के अचलेश्वर महादेव मंदिर में पहुंचना किसी एडवेंचर से कम नहीं है। सावन के महीने के दौरान नदियों के बीच इस मंदिर में पहुंचना पड़ता है। हालांकि इन नदियों की गहराई ज्यादा नहीं है। लेकिन बारिश के दौरान जब यहां लोग आते हैं तो उन्हें बारिश के बीच अलग ही अनुभव होता है। बताया जाता है कि यहां बाबा के दरबार में मांगी हर मनोकामना पूरी होती है।

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