अलर्टः दिल के मरीज हो रहे राजस्थान के बच्चे, इलाज के लिए दिल्ली कर रहे रेफर

राजस्थान में नवजात और छोटे बच्चों में दिल से संबंधित समस्या आ रही है। यहां हर साल करीब 1000 से अधिक मरीज सामने आ रहे हैं। जिन्हें बेहतर इलाज के लिए दिल्ली एम्स रेफर किया जा रहा है।

subodh kumar | Published : Jul 8, 2024 12:05 PM IST / Updated: Jul 08 2024, 07:17 PM IST

जयपुर. राजस्थान में छोटे बच्चों के इलाज के लिए हर बड़े शहर में जेके लोन अस्पताल की स्थापना की गई है। इन सरकारी अस्पतालों में छोटे बच्चों से संबंधित तमाम इलाज किए जाते हैं।‌ लेकिन इन दिनों राजधानी जयपुर में स्थित सबसे बड़े जेकेलोन अस्पताल में छोटे बच्चों से संबंधित एक जटिल बीमारी सामने आ रही है। चिकित्सकों का कहना है की तेजी से नवजात बच्चे इस बीमारी के मरीज हो रहे हैं।

बच्चों में दिल की बीमारी

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दरअसल यह दिल की बीमारी है और पिछले 5 साल के दौरान 5500 से भी ज्यादा बच्चे इसके इलाज के लिए आए हैं। इनमें नवजात बच्चों की संख्या करीब 30% से भी ज्यादा है। बाकी बढ़ती उम्र में बीमार होने के कारण भी बच्चे अस्पताल में ले जा रहे हैं। हालत यह हो रहे हैं कि अब छोटे बच्चों के लिए भी कार्डियोलॉजी वार्ड शुरू करने की तैयारी चल रही है और राजस्थान सरकार इसे इसी साल में शुरू कर रही है। 5 साल में 5500 बच्चों के अलावा यह संख्या इसलिए भी ज्यादा हो सकती है। क्योंकि अधिकतर शहरों में सरकारी स्तर पर जो अस्पताल हैं। वह इस हालत में नहीं है कि इस तरह के बीमार बच्चों का इलाज किया जा सके। ऐसी स्थिति में परिजन अपने बच्चों को लेकर प्राइवेट हॉस्पिटलों में भी चक्कर काटते हैं।

दिल्ली एम्स में रह रहे रेफर

नवजात बच्चों के इलाज के विशेषज्ञ डॉक्टर अनिल शर्मा का कहना है कि राजस्थान में इस तरह से बीमार होने वाले बच्चों की संख्या बढ़ रही है। लेकिन अधिकतर बच्चों को दिल्ली एम्स में रेफर किया जाता है, क्योंकि राजस्थान में अभी पूरी तरह से सुविधा नहीं शुरू की जा सकी है। इस विषय में काम चल रहा है। डॉक्टर शर्मा का कहना है कि करीब 30 फीसदी से ज्यादा बच्चे तो जन्मजात दिल की बीमारी से ग्रसित होते हैं। उनके या तो दिल में छेद होता है या फिर दिल का सही से विकास नहीं होता है ।

नीला पड़ जाता है बच्चों का शरीर

इसके अलावा बाद में कई बार बच्चों का शरीर नीला पड़ने लगता है। वह कुछ भी खाने या चलने से भी हांफने लगते हैं। उनका वजन कम होने लगता है और उनका विकास बहुत धीरे होता है। फेफड़ों से संबंधित संक्रमण बार-बार होता है और सर्दियों के मौसम में तो सांस लेने में भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।‌ अधिकतर नवजात बच्चों से लेकर 5 से 7 साल तक के बच्चों के यह समस्या ज्यादा होती है। अगर इस तरह की समस्या दिखती है तो मान लीजिए बच्चों को दिल से संबंधित बीमारी होने की 90 फ़ीसदी से भी ज्यादा चांस है ।

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बच्चों के लिए शुरू होगा कॉर्डियोलॉजी वार्ड

राजस्थान के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल जयपुर स्थित जेके लोन हॉस्पिटल के कार्यवाहक प्रधानाचार्य डॉ रामबाबू शर्मा का कहना है कि बच्चों के लिए कार्डियोलॉजी वार्ड शुरू करने की प्रक्रिया चल रही है। करीब 20 करोड़ की लागत से मशीनरी और सेटअप किया जा रहा है। प्रशिक्षित स्टाफ को भी प्रदेश के अलग-अलग शहरों से यहां लाया जा रहा है।

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