
बांरा. राजस्थान के बारां जिले के शाहाबाद क्षेत्र में स्थित सघन वन क्षेत्र में निजी पावर प्लांट के लिए एक लाख से अधिक पेड़ों की कटाई की तैयारी हो रही है। केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्रालय ने इस परियोजना की अनुमति दे दी है, जिससे अगले छह महीनों में पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलने की संभावना है। इससे संरक्षित वन क्षेत्र की जैव विविधता को गंभीर नुकसान होगा और वन्यजीवों के लिए संकट उत्पन्न होगा।
मार्च 2025 तक पेड़ों की कटाई के लिए है प्रस्ताव
यह परियोजना ग्रीनको एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड द्वारा शुरू की जा रही है, जिसमें शाहाबाद के हनुमंतखेड़ा और मुंगावली में 1800 मेगावाट बिजली उत्पादन के लिए पंप स्टोरेज प्रणाली का निर्माण किया जाएगा। इसके तहत 700 हेक्टेयर भूमि का उपयोग किया जाएगा, जिसमें से 400 हेक्टेयर वन भूमि है। केंद्रीय वन सलाहकार समिति एफएसी ने मार्च 2025 तक पेड़ों की कटाई के लिए इस प्रस्ताव को हरी झंडी दी है।
इस काम के लिए काटे जा रहे पेड़
परियोजना का मुख्य उद्देश्य पहाड़ी क्षेत्र में जल संग्रहण करना है। यहां कूनू नदी के पास दो तालाब बनाए जाएंगे। पानी को ऊपरी तालाब में भरा जाएगा और बिजली उत्पादन के समय इसे नीचे लाकर टरबाइन के जरिए बिजली बनाई जाएगी।
लोगों ने प्रशासन को दिया कड़ी चेतावनी
स्थानीय पर्यावरणविद् और संगठन इस अनुमति के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। विठ्ठल सनाढ्य, पीपुल्स फॉर एनिमल के जिला प्रभारी ने कहा कि यह क्षेत्र जड़ी बूटियों और वन्यजीवों के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि एक लाख से अधिक पेड़ों की कटाई की अनुमति को तत्काल निरस्त किया जाए, अन्यथा वे अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे। इस मुद्दे पर सामाजिक संगठनों और पर्यावरणविदों की चिंता बढ़ती जा रही है, जो इस विकास के नाम पर प्राकृतिक संसाधनों के नष्ट होने के खिलाफ हैं।
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