राजस्थान हाईकोर्ट ने न्यायपालिका पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से की गई टिप्पणी के मामले में फिलहाल उन्हें राहत दे दी है। कोर्ट अवमानना याचिका को निरस्त कर दिया है।
जयपुर। राजस्थान में विधानसभा चुनाव नजदीक है। कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियों के बीच लगातार बयानबाजी का दौर चल रहा है। बीते दिनों मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने न्यायपालिका पर टिप्पणी कर दी थी। इसके बाद कई वकीलों ने उन पर हाईकोर्ट में अवमानना याचिका लगा दी थी। अब इस मामले में सीएम अशोक गहलोत को कोर्ट से राहत मिली है। हाईकोर्ट ने सीएम अशोक गहलोत के खिलाफ दायर आपराधिक अवमानना याचिका खारिज कर दी है।
कोर्ट ने कहा एक ही मुद्दे पर बार-बार शिकायत क्यों आ रही
मामले में अदालत का कहना है कि एक ही मुद्दे पर बार-बार शिकायत क्यों आ रही है। जबकि सीएम अशोक गहलोत को एक याचिका में नोटिस जारी कर तलब किया जा चुका है। इससे पहले कोर्ट ने अन्य याचिका को पूर्व में निस्तारित कर दिया था। हालांकि जिस मामले को लेकर सीएम को नोटिस मिला था यदि उसमें सीएम 3 अक्टूबर तक जवाब नहीं देते हैं तो उनके खिलाफ याचिकाकर्ता अलग से याचिका लगा सकता है।
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गहलोत ने ये कहा था न्यायपालिका के लिए
राजस्थान की राजधानी जयपुर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कार्यक्रम के समाप्त होने के बाद मीडिया से बातचीत की थी जिसमें उन्होंने कहा था कि न्यायपालिका में इतना ज्यादा भ्रष्टाचार है कि कोर्ट के फैसले तक वकील ही लिखते हैं और वह जो लिखकर लाते हैं वही फैसला बन जाता है। सीएम ने यहां तक कहा था कि चाहे न्यायपालिका उच्च हो या फिर निचली हर जगह हालात गंभीर है।
लॉ एक्सपर्ट की माने तो कोई भी यदि न्यायपालिका पर टिप्पणी करता है तो वह पूरी तरह से गलत है। सीएम अशोक गहलोत इतने बड़े पद पर होने के बावजूद न्यायपालिका पर ऐसी टिप्पणी करते हैं तो हाईकोर्ट को उनके खिलाफ ठोस कदम उठाना चाहिए जो कि इतिहास में मिसाल की तरह याद रखा जाए।