बाड़मेर: रेल समय पर रवाना हुई। सभी यात्री अपनी सीट पर बैठकर यात्रा शुरू कर चुके थे। जनरल डिब्बा खचाखच भरा हुआ था। स्टेशनों पर रेल रुक रही थी और फिर आगे बढ़ रही थी। ऐसे ही एक स्टेशन पर रेल रुकी तो बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी। ज्यादातर यात्रियों ने ध्यान नहीं दिया क्योंकि रेल यात्रा में बच्चे का रोना आम बात है। लेकिन रेलवे हेड कांस्टेबल को बच्चे के रोने की आवाज पर शक हुआ। वे तुरंत रेल के डिब्बे में गए। जहाँ से बच्चे के रोने की आवाज आ रही थी, वहाँ से कंबल हटाकर देखा तो एक दिन का नवजात शिशु मिला। यह घटना बाड़मेर-हरिद्वार रेल में घटी।
राजस्थान के बाड़मेर से उत्तराखंड के हरिद्वार जा रही रेल के एस4 कोच के 71वें बर्थ नंबर पर यह बच्चा मिला। हेड कांस्टेबल भीमरान पूनड़ ने बच्चे को बचाया। अनाथ अवस्था में पड़े बच्चे को तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया। बच्चा रो रहा था और बहुत बीमार था। उसे भूख भी लगी थी। बच्चे को रेल में छोड़कर 8 घंटे से ज्यादा समय हो गया था। यानी कम से कम 8 घंटे से बच्चे के पेट में कुछ नहीं गया था। इसलिए बच्चा बहुत बीमार हो गया था।
रेल बाड़मेर जिले के स्टेशन पर भीमरान पूनड़ ने बच्चे को बचाया। बच्चे के माता-पिता की तलाश की गई, लेकिन वे नहीं मिले। रेलवे पुलिस सीसीटीवी फुटेज की जाँच कर रही है कि बच्चे को किसने छोड़ा। अभी तक माता-पिता का पता नहीं चला है। इतना ही नहीं, कोई भी माता-पिता यह कहने आगे नहीं आए कि यह बच्चा उनका है।
बच्चे की हालत गंभीर होने के कारण बाड़मेर जिला अस्पताल के डॉक्टरों की टीम ने विशेष ध्यान दिया। बच्चा माँ का दूध और देखभाल न मिलने के कारण बीमार हो गया था। डॉक्टर हरीश चौहान ने बताया कि अगले 24 घंटे तक बच्चे के स्वास्थ्य पर कड़ी नजर रखी जाएगी और उसे ठीक करने की पूरी कोशिश की जाएगी।