देश के सबसे नए विधानसभाओं में से एक राजस्थान विधानसभा की नई बिल्डिंग साल 2001 में बनकर तैयार हुई। हालांकि, कुछ लोग इसे भूतहा भवन भी मानते हैं, जबकि कुछ लोगों का कहना है कि यह भवन शापित है।
जयपुर : राजस्थान में विधानसभा चुनाव संपन्न हो गया है, अब नई सरकार के गठन की तैयारियां हैं। मुख्यमंत्री के नाम को लेकर भी चर्चा जोरों-शोरो पर है, इस बीच एक बार फिर राजस्थान का विधानसभा भवन (Rajasthan Vidhan Sabha) चर्चा में आ गया है। देश के सबसे नए विधानसभाओं में से एक राजस्थान विधानसभा की नई बिल्डिंग साल 2001 में बनकर तैयार हुई। हालांकि, कुछ लोग इसे भूतहा भवन भी मानते हैं, जबकि कुछ लोगों का कहना है कि यह भवन शापित है। आइए जानते हैं राजस्थान की विधानसभा को लेकर आखिर इस तरह का अंधविश्वास क्यों है...
कभी भी एक साथ नहीं बैठे 200 विधायक
कहा जाता है कि राजस्थान की विधानसभा में कभी भी पूरे 200 विधायक एक साथ नहीं बैठे हैं। जब भी ऐसा किया गया, तब-तब कुछ न कुछ अनहोनी हो गई। इस बार भी कुल 200 सीटों में से 199 विधानसभा सीटों पर ही चुनाव हुए और रिजल्ट जारी किए गए। श्रीगंगानगर जिले के करणपुर विधानसभा सीट से विधायक और कांग्रेस उम्मीदवार गुरमीत सिंह कुन्नर के निधन की वजह से चुनाव नहीं कराए गए।
पहले भी एक सीट पर मतदान नहीं
2023 में पहली बार ऐसा नहीं हुआ है, जब राजस्थान की किसी एक सीट पर चुनाव न कराए गए हों, इससे पहले 2018 में रामगढ़ से बसपा प्रत्याशी लक्ष्मण के निधन होने के बाद इस सीट पर मतदान नहीं हुआ था। इससे भी 5 साल पहले 2013 में चुरू से बसपा प्रत्याशी जगदीश मेघवाल की निधन होने से इस सीट पर चुनाव नहीं कराया गया था। कुछ लोग इसे संयोग मानते हैं और कुछ भूत-प्रेत की बातें करते हैं। कई विधायक भी विधानसभा को शापित मानते हैं। हालांकि, इतिहास के मुताबिक, राजस्थान विधासनभा में कभी भी सभी 200 सीटों पर एक साथ चुनाव नहीं हो पाए हैं। किसी न किसी उम्मीदवार की मौत की वजह से एक सीट पर मतदान टालना पड़ा है।
क्या श्मशान की जमीन पर बना है राजस्थान विधानसभा भवन
पंजाब केसरी अखबार और कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि राजस्थान विधानसभा की बिल्डिंग जिस जमीन पर बनी है, वहां कभी श्मशान हुआ करता था। इस जगह बच्चों के शव दफनाए जाते थे। इसी के चलते विधानसभा के कुछ सदस्यों का मानना रहा है कि विधानसभा भवन में कोई आत्मा भटकती है। हालांकि श्मशान का एक हिस्सा वर्तमान में भी विधानसभा से जुड़ा है, जिसे लाल कोठी श्मशान नाम से जाना जाता है। लेकिन विधायक इससे इतने डरे रहते हैं कि कई बार विधानभवन की शुद्धि के लिए यज्ञ की मांग भी उठती रही है।
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