राजस्थान में विधानसभा चुनाव के लिए कुछ ही महीनों का समय बचा है। देश की दिग्गज राजनैतिक पार्टियों ने भी अपना चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है। इसके तहत नहीं सहेगा राजस्थान आंदोलन की शुरूआत की इसको शुरू करने बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष J P नड्डा जयपुर पहुंचे।
जयपुर (jaipur News). राजस्थान में विधानसभा चुनाव की गर्मी तेज हो चुकी है। इसी बीच कांग्रेस तो जहां अपने प्रचार प्रसार में लगी हुई है वहीं अब बीजेपी ने राजस्थान में नहीं सहेगा राजस्थान आंदोलन की शुरुआत कर दी है। इस कार्यक्रम की शुरुआत करने के लिए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा खुद राजधानी जयपुर में आए। लेकिन यहां जेपी नड्डा के आने से ज्यादा चर्चा एक किस्से की हो रही है। जो राजस्थान में सियासत बदलने के संकेत दे रही है।
जयपुर में चल रही अध्यक्ष जे पी नड्डा की मीटिंग छोड़कर गई पूर्व सीएम राजे
यह किस्सा है राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री रह चुकी वसुंधरा राजे का। दरअसल जब जेपी नड्डा की मीटिंग चल रही थी उसी दौरान वसुंधरा राजे के पास मोबाइल पर कोई फोन कॉल आया और इसके बाद वह फोन पर बात करने के लिए बाहर आ गई। इसके बाद उनके सुरक्षाकर्मी भी राजे के पीछे पीछे चल पड़े। करीब 25 मिनट बाद वसुंधरा वापस अंदर लौटी।
विधानसभा चुनाव से पहले राजस्थान में हु्ई कोर कमेटी की बैठक
कार्यक्रम खत्म होने के बाद वसुंधरा राजे ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि जेपी नड्डा के मार्गदर्शन में आयोजित हुई भारतीय जनता पार्टी की कोर कमेटी की बैठक में हिस्सा लिया। इस अवसर पर राजस्थान में विभिन्न संगठनात्मक मुद्दों पर चर्चा की गई और आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव के लिए रणनीति तैयार की गई है।
कोर कमेटी की बैठक छोड़कर बाहर गई पूर्व सीएम राजे
पहले नड्डा की मीटिंग छोड़कर जाने और बाद में अलग से ट्वीट कर इस कोर कमेटी की बैठक का जिक्र करने के बाद राजस्थान की सियासी गलियारों में हलचल मची हुई है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि राजे अभी भी प्रदेश के बाकी नेताओं की तुलना में अपना पलड़ा मजबूत रखती है। इसके चलते ही आलाकमान हरहाल पर उन्हें खुश रखता है। गौरतलब है कि इसके पहले पार्टी के बीएल संतोष ने भी जिक्र किया था कि संगठन का पूरा प्रयास है कि पार्टी में समन्वय हर स्तर पर बना रहे।
राजस्थान में भाजपा ने अभी तक नहीं किए प्रत्याशियों के नाम
वही आपको बता दें कि एक तरफ जहां कांग्रेस सितंबर में ही अपने करीब 100 प्रत्याशियों का नाम फाइनल कर देगी लेकिन भारतीय जनता पार्टी के सामने अभी सबसे बड़ी चुनौती तो यह है कि वह विधानसभाओं में प्रत्याशी घोषित करना दूर अभी तक जिसके नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाना है उसे भी तय नहीं कर पाई है। ऐसे में यदि जल्द से जल्द इसका समाधान नहीं निकल पाता है तो कहीं ना कहीं भाजपा को नुकसान भी हो सकता है।
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