राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री गहलोत ने कई घोषणाएं कर डाली हैं। अब उन्हें पूरा करने में भी करोड़ों खर्च हो रहे हैं, लेकिन सरकार की आय उतनी नहीं है। ऐसे में सरकार कर्ज लेकर उन्हें पूरा कर रही है।
जयपुर। राजस्थान में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अलग-अलग घोषणाएं कर प्रदेश की जनता को साधने में लगे हैं। इन योजनाओं को मूर्त रूप देने के लिए करोड़ों रुपए खर्च हो रहे हैं। सरकार की इसकी तुलना में आय कम है। ऐसे में सरकार कर्ज लेकर राजस्थान में अपनी योजनाओं को चलाने में लगी हुई है। इसी बीच रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया की ओर से जारी रिपोर्ट ने सरकार के कर्ज को उजागर किया है।
कर्ज में डूबी गहलोत सरकार
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से जारी रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान सरकार अप्रैल से अगस्त तक करीब 12288 करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है। जबकि आगामी 3 महीने के दौरान करीब 14000 करोड़ रुपए का कर्ज और लेने वाली है। केवल इस साल की बात की जाए तो सरकार ने करीब 537103 करोड़ रुपए का लोन लिया है। जबकि इससे पहले पिछले साल यह कर्ज 458089 करोड़ का था।
सरकार अपनी घोषणाएं पूरी करने में लगी
वित्तीय सलाहकारों की माने तो यह पूरा पैसा सरकार इस साल 6 महीने में अपनी ओर से की गई घोषणाओं के क्रियान्वयन में लग रहा है। सरकार की अन्नपूर्णा फूड पैकेट योजना में सालाना करीब 4500 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री डिजिटल सेवा योजना के तहत बांटे जा रहे मोबाइलों को देने के लिए 1200 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
100 यूनिट फ्री बिजली दे रही
सरकार 100 यूनिट फ्री बिजली दे रही है इसके लिए भी सालाना 7000 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बाहर आ रहा है। वृद्धावस्था पेंशन सरकार ने बढ़ाई है जिससे भी सालाना 12000 करोड़ रुपए का खर्च बढ़ रहा है। इसके अलावा उज्ज्वला योजना में भी 750 करोड़ खर्च हो रहे हैं।
इस मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेता नरपत सिंह राजनीति ने कहा है कि राजस्थान अब कर्ज के जाल में फंस चुका है और आखिर में इसका असर गरीबों पर ही पड़ना है। जब भी कोई नई सरकार सत्ता में आती है तो राजस्थान में वह एक से दो साल तो यह कहकर कोई विकास के काम नहीं करवाती है कि बीती सरकार ने लोन ले रखा उसका भुगतान किया गया।