
जयपुर। राजस्थान सरकार ने हाल ही में नए जिलों और संभागों के गठन पर पुनर्विचार करते हुए 9 जिलों और 3 संभागों को निरस्त कर दिया। इस फैसले को शनिवार को हुई कैबिनेट बैठक में अंतिम रूप दिया गया।
राजस्थान सरकार के प्रवक्ता जोगाराम पटेल ने कहा कि इन जिलों का गठन चुनावों से ठीक पहले किया गया था, लेकिन उनकी व्यवहारिकता पर ध्यान नहीं दिया गया। उन्होंने बताया कि वित्तीय संसाधन और जनसंख्या जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं को अनदेखा किया गया था। कई जिलों में बुनियादी ढांचे और प्रशासनिक तैयारियों की भारी कमी थी। पटेल ने कहा कि 6-7 तहसीलों से भी कम वाले जिले बनाए गए, जो राज्य पर अनावश्यक आर्थिक भार डाल रहे थे।
कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार, इन जिलों में पर्याप्त प्रशासनिक पद सृजित नहीं किए गए थे, और न ही कार्यालय भवनों की व्यवस्था थी। जिन 18 विभागों में पद सृजित किए गए, वे भी अपर्याप्त साबित हुए। समीक्षा कमेटी ने पाया कि इन जिलों का गठन न केवल अव्यवस्थित था, बल्कि राज्य के विकास के लिए बाधक भी बन सकता था।
कैबिनेट ने यह भी निर्णय लिया कि समान पात्रता परीक्षा (सीईटी) का स्कोर अब तीन साल तक मान्य रहेगा। इससे प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होने वाले युवाओं को राहत मिलेगी। इसके अलावा, खाद्य सुरक्षा योजना में नए लाभार्थियों को शामिल करने के लिए एक विशेष अभियान चलाया जाएगा। पंचायत, पंचायत समितियों और जिला परिषदों के पुनर्गठन की भी घोषणा की गई है। यह फैसला ग्रामीण स्तर पर विकास योजनाओं को अधिक प्रभावी बनाने के उद्देश्य से लिया गया है।
सरकार ने बालोतरा, ब्यावर, डीग, डीडवाना-कुचामन, कोटपूतली-बहरोड, खैरथल-तिजारा, फलौदी और सलूंबर जैसे जिलों को बनाए रखने का निर्णय लिया है।
दूदू, केकड़ी, शाहपुरा, नीमकाथाना, अनूपगढ़, गंगापुर सिटी, जयपुर ग्रामीण, जोधपुर ग्रामीण और सांचौर जिले अब राजस्थान के नक्शे से हटाए जा रहे हैं। यह निर्णय राजस्थान के प्रशासनिक ढांचे को सुदृढ़ करने और संसाधनों के समुचित उपयोग को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लिया गया है।
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