जितनी सचिन पायलट की उम्र उतनी इन दिग्गज नेताओं की राजनीति, क्या हुआ इनका जब इन्होंने बनाई नई पार्टी?

Published : Jun 11, 2023, 11:02 AM ISTUpdated : Jun 11, 2023, 11:04 AM IST
ashok gehlot vs  sachin pilot

सार

आज पूरे देश में चर्चा हो रही है कि राजस्थान के दिग्गज नेता सचिन पायलट कांग्रेस छोड़कर नई पार्टी बना सकते हैं। लेकिन राजनीतिक कारों का मानना है कि सचिन की मजबूरी है कि  उन्हें कांग्रेस में ही रहना पड़ेगा। 

जयपुर. हम आपको 3 बड़े नाम बताते हैं जिनकी राजनीति उतनी है जितनी सचिन पायलट की उम्र ......। इनमें पहला नाम भारतीय जनता पार्टी से सांसद किरोड़ी लाल मीणा का है, जिनकी उम्र करीब 73 साल है 25 साल की उम्र से वे राजनीति में है । अब दूसरा नाम.... वह है घनश्याम तिवारी। करीब 70 साल उम्र रखने वाले तिवारी 45 साल से राजनीति में है.... । तीसरा नाम है हनुमान बेनीवाल.... बेनीवाल की राजनीति भी सचिन पायलट की राजनीति से कहीं उम्र दराज है ।

किरोड़ी लाल मीणा ने भी बनाई थी अपनी पार्टी...

बात सांसद किरोड़ी लाल मीणा से शुरू करते हैं । किरोड़ी लाल मीणा ने खुद को भारतीय जनता पार्टी से बड़ा समझते हुए साल 2008 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक पार्टी का गठन किया और 2013 में होने वाले विधानसभा चुनावों में करीब 50 सीटों पर चुनाव लड़ा। वे अपने मीणा वोटर्स के समर्थन में इतना बड़ा दांव खेल रहे थे , लेकिन वोटर्स ने उन्हें निराश किया और उन्हें सिर्फ तीन ही सीट मिल सके । आखिर थक हार कर वे वापस भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए और उसके बाद विधायक ,सांसद चुने गए ।

पंडित घनश्याम तिवारी को भी भाजपा में करनी पड़ी घर वापसी

दूसरा दिग्गज नाम है पंडित घनश्याम तिवारी... राजधानी जयपुर में सांगानेर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ कर कई बार जीतने वाले घनश्याम तिवारी 2018 में अपनी पार्टी से बगावत कर चुके हैं । उन्होंने अपने कुछ समर्थकों के बलबूते पर तिवारी भारत वाहिनी पार्टी.. का गठन किया । लगभग 50 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ा और हालात यह रहे कि वह इस पार्टी से खुद की सीट तक हार गए यानी उनके समर्थकों और वोटर ने नाम से पहले पार्टी को चुना। भाजपा में उनकी घर वापसी हो चुकी है।

अब बात हनुमान बेनीवाल की पार्टी की...

बेनीवाल भी बीजेपी से बगावत कर चुके हैं और वे 2013 में अपनी पार्टी, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी का गठन कर चुके हैं। 2018 में उन्होंने करीब 60 सीटों पर अपनी पार्टी से विधायक लड़ए थे, लेकिन सिर्फ 3 सीटें ही वे जीत सके। बाद में उनको भी बीजेपी से हाथ मिलाना ही पड़ा। इन तीन दिग्गज नेताओं का हश्र देखते हुए सचिन पायलट नई पार्टी का दाव नहीं खेलेंगे ,वह कांग्रेस पार्टी के साथ ही रहेंगे।

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