भ्रष्टाचार की लड़ाई में अपनी ही सरकार के खिलाफ धरना और रैली करने वाले पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने 11 जून को तीन शर्तें पूरी करने का अल्टीमेटम दिया था। रविवार को वो दिन भी आ गया तो जानिए क्या रहा पायलट की तीन शर्तों का कांग्रेस आलाकमान का जवाब।
जयपुर (jaipur News). राजस्थान में इस साल विधानसभा चुनाव होने है। और इस इलेक्शन को जीतने के लिए कांग्रेस को पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट भी उतने ही जरूरी है, जितने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत। लेकिन उसके बावजूद भी आलाकमान ने सचिन पायलट की उन तीन शर्तों का क्या किया जो उन्होंने आलाकमान के सामने रखी थी? सबसे पहली बात वह तीन शर्ते कौन सी थी जिनके कारण यह सारा बवाल मचा हुआ है। आपको बताते हैं।
ये थी सचिन पायलट की पहली शर्त
सचिन पायलट ने अपनी पार्टी के खिलाफ बगावत की और जन संघर्ष यात्रा निकाली। उसके बाद दिल्ली बैठा आलाकमान भी परेशान हुआ ,तो उन्होंने सचिन पायलट और अशोक गहलोत को बुला लिया। आलाकमान के सामने सचिन पायलट ने तीन शर्ते रखी , उनमें से पहली शर्त थी कि राजस्थान में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान जितने भी पेपर लीक हुए हैं, उन पेपर लीक के पीड़ित छात्रों को मुआवजा सरकार के द्वारा दिया जाए ।
पायलट की इस शर्त पर सीएम गहलोत ने दिया जवाब
पूर्व डिप्टी सीएम पायलट की इस शर्त के जवाब में पिछले दिनों मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस कंडीशन की जमकर खिल्ली उड़ाई और उन्होंने कहा कि यह कैसे संभव है, जरा शर्त पूछने वाला ही बताएं यानी पहली शर्त पूरी नहीं हो सकी।
अब बात सचिन पायलट की दूसरी शर्त की
सचिन पायलट ने दूसरी शर्त रखी वह यह थी कि आरपीएससी यानी सरकार की वह एजेंसी जो सरकारी प्रतियोगी परीक्षाएं कराती है, उसको भंग कर दिया जाए क्योंकि उनके राज में राजस्थान में लगातार पेपर लीक हो रहे हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इसका जवाब यह दिया कि RPSC के एक सदस्य बाबूलाल कटारा और उसके परिवार को गिरफ्तार किया गया, साथ ही आरपीएससी के चेयरमैन संजय श्रोत्रिय को जांच के दायरे में लिया गया। यानी सरकार ने यह शर्त लगभग आधी मान ली।
भ्रष्टाचार के मामले में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे पर जांच की रखी शर्त
अब बात तीसरी और महत्वपूर्ण शर्त यह थी कि सचिन पायलट ने मांग की है की भ्रष्टाचार करने वाली पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के बारे में बड़े स्तर पर जांच पड़ताल की जाए, इसका जवाब पिछले दिनों मुख्यमंत्री ने दिया था कि जो भी भ्रष्टाचार का मुद्दा दिखता है। उसकी समय पर जांच की जाती है। यानी सचिन पायलट की यह तीसरी शर्त भी नहीं मानी जा सकी।
इन तीनों शर्तों के बारे में आलाकमान को भी जानकारी दी गई है, लेकिन आलाकमान ने इन शर्तों को फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया है।
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