अक्सर गांव का जब जिक्र होता है तो मजदूर और किसानों की बात होती है। जहां के लोग बेरोजगार और गरीबी में जीवन यापन करते हैं। लेकिन राजस्थान का एक गांव ऐसा है, जहां हर घर में अमीर रहते हैं। आय इतनी होती कि हर महीने यह लोग 5 करोड़ का टैक्ट भरते हैं।
जयपुर. राजस्थान में जयपुर-जोधपुर और उदयपुर जैसे बड़े शहर है। अब सामान्य सी बात है कि हम भी यही सोचते हैं कि शहर की जितनी आबादी होगी वहां वाहनों की संख्या भी उतनी ज्यादा ही होगी। चाहे फिर वह कोई छोटी गाड़ी हो या बड़ा ट्रक या ट्रैक्टर। लेकिन क्या आप जानते हैं राजस्थान में सबसे ज्यादा ट्रक और ट्रोले किसी बड़े शहर में नहीं बल्कि एक गांव में रजिस्टर्ड है। हम बात कर रहे हैं राजस्थान के बीकानेर जिले के नोखा उपखंड के रासीसर की। यहां इतने ज्यादा वाहन हो चुके हैं कि परिवहन विभाग को अलग से जिला परिवहन कार्यालय खोलना पड़ा।
हर महीने इस गांव से 5 करोड़ का राजस्व मिलता
इस गांव के वाहनों से हर महीने परिवहन विभाग को 5 करोड़ का राजस्व मिलता है। राजस्थान में कई जिले भी महीने का इतना राजस्व नहीं दे पाते हैं। यहां के लोगों के पास करीब 5 हजार छोटे और बड़े वाहन है। जिनमें करीब 1500 ट्रकएट्रेलर और डंपरए 728 पिकअप गाड़ियां और सैकड़ो लग्जरी गाड़ियां हैं।
यहां के ज्यादातर लोग करते ट्रांसपोर्ट का बिजनेस
हालांकि कई गाड़ियों के मालिक वर्तमान में इस गांव को छोड़कर दूसरे जिलों में भी रहने लगे हैं लेकिन गाड़ियां आज भी यही से ही रजिस्टर्ड है। हालांकि जानकार बताते हैं कि यहां के लोग सबसे ज्यादा ट्रांसपोर्ट व्यवसाय से जुड़े हैं। ट्रांसपोर्ट व्यवसाय में वाहनों की जरूरत ज्यादा होती है तो लोगों के पास इतने ज्यादा वाहन होना कोई बड़ी बात नहीं है।
साल 1978 शुरू हुई था पहला व्यवसाय
गांव के लोग बताते हैं कि साल 1978 में यहां के मंडा परिवार ने ट्रांसपोर्ट व्यवसाय शुरू किया था। इसके बाद गांव के ज्यादातर लोगों ने भी ट्रांसपोर्ट का व्यापार करना शुरू किया और आज पूरे देश भर में ट्रांसपोर्ट बिजनेस के मामले में यह गांव अपनी पहचान रखता है।