राजस्थान सरकार में चर्चित नेताओं में शामिल रहने वाले राजेंद्र गुढ़ा एक बार फिर नई पार्टी ज्वाइन करने वाले हैं। गुढ़ा के करीबियों से मिली जानकारी के मुताबिक जल्द ही वह शिवसेना का हाथ थामने वाले हैं।
जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री सीएम गहलोत को जेल भिजवाने तक की धमकी देने वाले उनकी ही सरकार के बर्खास्त मंत्री राजेन्द्र गुढा एक बार फिर चर्चा में आ गए हैं। चर्चा है कि वे फिर से पार्टी बदलने वाले हैं। लेकिन आगामी विधानसभा चुनाव में वे न तो बसपा और न ही कांग्रेस की ओर से चुनाव लड़ने वाले हैं। सूत्रों की माने तो इस बार राजेंद्र गुढ़ा इस बार महाराष्ट्र की शिवसेना का दामन थाम सकते हैं।
राजेंद्र गुढ़ा के बेटे के जन्मदिन पर आएंगे एकनाथ शिंदे
ऐसी अटकलें इसलिए भी लगाई जा रही हैं क्योंकि 9 सितंबर को गुढा के बेटे के जन्मदिन पर महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे राजस्थान आ रहे हैं। चर्चा है कि एक कार्यक्रम में शामिल होने के साथ वे गुढा को अपनी पार्टी में शामिल होने का न्योता दे सकते हैं। बताया जा रहा है कि गुढ़ा के अलावा भी प्रदेश के 20 अन्य नेता शिवसेना का दामन थाम सकते हैं।
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बसपा से चुनाव लड़कर जीते और कांग्रेस ज्वाइन कर ली थी
प्रदेश सरकार के मंत्री होने के बाद भी सरकार और सीएम के खिलाफ बयानबाजी और अन्य कारणों से हमेशा चर्चा में बने रहने वाले गुढ़ा राजस्थान के नीमकाथाना जिले के रहने वाले हैं और वहीं से वे विधायक भी हैं। उन्होनें ने चुनाव बसपा के टिकट से लड़ा था और जीत भी गए थे। उसके बाद कांग्रेस सरकार ने उनको मंत्री बनाया और उन्होंने बसपा छोड़ दी।
सीएम से बगावत पर कांग्रेस से निष्कासित
इधर कांग्रेस सरकार में रहकर राजेंद्र गुढ़ा ने सीएम के खिलाफ ही बगावत कर दी। लगातर तीन चार साल तक बेवजह बयानबाजी और प्रदेश सरकार के खिलाफ भाषणों का असर ये रहा कि आखिर सीएम गहलोत ने उनको पार्टी से निष्कासित कर दिया। उनका सैनिक कल्याण मंत्री पद भी छीन लिया।
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गुढ़ा ने लाल डायरी से सीएम को घेरा
मंत्री पद से बर्खास्त करने और कांग्रेस से निष्कासित करने पर गुढ़ा एक लाल डायरी ले आए और कहा कि इसमें प्रदेश सरकार के इतने घोटाले हैं कि अगर इसे जारी कर दूं तो सीएम जेल चले जाएं। हालांकि बर्खास्त करने के बाद न तो कांग्रेस ने और न ही बीजेपी ने उनको सीरियसली लिया।
हाल ही में उन्होनें कहा कि वे कमजोरों का साथ देते हैं। जब सीएम गहलोत कमजोर हो जाते हैं तो उनके पक्ष में बोलते हैं और जब सचिन पायलट कमजोर होते हैं तो वे उनकी तरफ चले जाते हैं। अब देखना ये होगा कि पांच साल में दो पार्टी बदलने वाले गुढ़ा अगर शिवसेना में जाते हैं तो वहां क्या गुल खिलाते हैं।