
Ranthambore Safari News : रणथम्भौर टाइगर रिजर्व में शनिवार वार शाम उस समय अफरा-तफरी मच गई जब सफारी पर गया एक कैंटर जंगल के बीच अचानक खराब हो गया। घटना जोन 6 की है, जहां बाघ और बाघिन का मूवमेंट अक्सर बना रहता है। कैंटर रुक जाने के बाद उसमें सवार महिलाएं और छोटे बच्चे अंधेरे के बीच घबरा गए। करीब एक घंटे तक सभी पर्यटक जंगल में ही फंसे रहे और बच्चों की रोने की आवाजों से माहौल और तनावपूर्ण हो गया।
शाम होते ही जंगल में अंधेरा गहराने लगा। कैंटर में बैठे करीब 25 पर्यटक असहज हो गए। खासतौर पर छोटे बच्चों ने डर और भूख-प्यास के कारण रोना शुरू कर दिया। महिला पर्यटकों ने सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि ऐसी स्थिति में मोबाइल नेटवर्क तक उपलब्ध नहीं था, जिससे बाहर किसी को जानकारी देना भी मुश्किल हो गया।
पर्यटकों का आरोप है कि कैंटर बंद होने के बाद ड्राइवर ने कहा कि वायरिंग खराब है और जंगल में वाहन से उतरना मना है, इसलिए वह कुछ नहीं कर सकता। इस बीच गाइड भी यात्रियों को छोड़कर दूसरी ओर निकल गया और देर तक वापस नहीं आया। परेशान पर्यटकों में से मोहित नामक युवक ने किसी अन्य कैंटर चालक से मदद की गुहार लगाई, लेकिन उस चालक ने मनमाने रुपए की मांग कर दी। इसके बाद मोहित किसी जिप्सी की मदद से मुख्य गेट तक पहुंचा और वन विभाग को सूचना दी।
सूचना मिलते ही वन विभाग ने तत्काल एक वेटिंग कैंटर भेजा और यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकाला। सभी पर्यटक रात करीब 7.30 बजे के बाद ही जोन से बाहर आ सके। इस दौरान महिलाओं ने कहा कि यदि वन विभाग ऐसी स्थिति में समय पर मदद न करता तो हादसा भी हो सकता था।
वन विभाग के पर्यटन डीएफओ प्रमोद धाकड़ ने बताया कि कैंटर के खराब होने की सूचना मिलते ही दूसरा कैंटर भेजकर पर्यटकों को बाहर निकाला गया। उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले की जांच की जाएगी और जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई भी होगी।
इस घटना ने रणथम्भौर सफारी की सुरक्षा और प्रबंधन पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। पर्यटकों का कहना है कि जब जंगल में बाघों की मूवमेंट रहती है तो वाहन खराब होने जैसी स्थिति में यात्रियों को असुरक्षित नहीं छोड़ा जाना चाहिए। अब देखना होगा कि वन विभाग इस मामले में क्या कदम उठाता है। इग्लिंश में कीवर्ड और यूआरएल दीजिए
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