कोटा मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन मॉस्क में लगी आग से मरीज का चेहरा-छाती सुलझी, इस घटना से डॉक्टर भी शॉक्ड

राजस्थान के कोटा मेडिकल कॉलेज में सर्जिकल ICU वार्ड में भर्ती एक मरीज की ऑक्सीजन मॉस्क में लगी आग से मौत ने शॉक्ड कर दिया है। जिस मशीन से मरीज की जान बचाई जाना थी, उसकी वजह से ही मौत हो गई। 

 

Contributor Asianet | Published : Jul 14, 2023 4:40 AM IST / Updated: Jul 14 2023, 10:13 AM IST

कोटा. राजस्थान के कोटा मेडिकल कॉलेज में सर्जिकल ICU वार्ड में भर्ती एक मरीज की ऑक्सीजन मॉस्क में लगी आग से मौत ने शॉक्ड कर दिया है। जिस मशीन से मरीज की जान बचाई जाना थी, उसकी वजह से ही मौत हो गई। 

अनंतपुर निवासी वैभव शर्मा को डायरेक्ट कॉर्डियोवर्जन(DC) शॉक दिया जा रहा था, तभी एक चिंगारी उठी और ऑक्सीजन मॉस्क ने आग पकड़ ली। इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, मरीज का चेहरा और छाती बुरी तरह झुलस गए और उसकी मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि वैभव की मौत ऑक्सीजन मॉस्क में आग लगने की वजह से हुई, जबकि हॉस्पिटल मैनेजमेंट का तर्क है कि मरीज की मौत पहले ही हो चुकी थी।

कोटा मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन मॉस्क में आग लगने से मरीज की मौत का मामला

मरीज वैभव शर्मा की मौत पर उठ रहे सवालों की पड़ताल करने मेडिकल कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन ने हाईलेवल कमेटी तैयार की है। इस घटना से डॉक्टर भी शॉक्ड हैं, क्योंकि उन्होंने अपने करियर में ऐसा केस पहले कभी नहीं देखा।

आशंका जताई जा रही है कि डीसी शॉक देते समय स्पार्किंग हुई और ऑक्सीजन मॉस्क ने आग पकड़ ली। हालांकि डीसी मशीन को टच कराने से पहले बॉडी पर जेल लगाया जाता है। चौंकाने वाली बात है कि मशीन डायरेक्टर बिजली से नहीं चल रही थी। वो बैटरी से संचालित थी। ऐसे में स्पार्किंग होना डॉक्टरों को भी हैरान कर रहा है।

एक्सपर्ट मानते हैं कि मरीज को फेफड़ों पर डीसी शॉक दिया जा रहा था। अगर ज्यादा शॉक दिया जाए, तो स्पार्क हो सकता है, लेकिन आमतौर पर यह हवा में होता है। दूसरी आशंका जताई जा रही है कि मशीन में कोई फॉल्ट होगा, जिससे स्पार्क हुआ होगा।

कोटा मेडिकल कॉलेज डीसी मशीन में स्पार्क की घटना क्या है?

डॉ. आरपी मीणा के अनुसार, मरीज को एनआईवी मास्क लगा था और वेंटिलेटर चालू था। उसे फुल प्रेशर से यानी 100 प्रतिशत प्रेशर से ऑक्सीजन दी जा रही थी, ताकि फेफड़ों में मूवमेंट हो सके।

उधर, मरीज के परिजनों का आरोप है कि ऑक्सीजन मॉस्क में आग लगने से मरीज की जान गई, जबकि अस्पताल मैनेजमेंट का कहना है कि अगर आग लगी होती, तो पूरे वार्ड में अफरा-तफरी मच जाती। इसलिए ये आरोप गलत हैं।

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