बाबा खाटूश्याम के 2 अनोखे भक्त: एक ने अपनी आंख निकालकर चढ़ा दी, तो दूसरे के सामने हुआ बड़ा चमत्कार

 

राजस्थान के सीकर में बाबा खाटू श्याम की नगरी यानि सीकर में मेला शुरू हो गया है। इस दौरान लाखों की संख्या में भक्त देश-विदेश से पहुंचे हैं। मन्नत पूरी होने पर किसी भक्त ने आंख भगवान को चढ़ा दी तो किसी ने लाखों का चढ़ावा चढ़ाया।

सीकर (राजस्थान). कहने को यूं तो बाबा खाटू श्याम के मेले में आज से उनके कई लाखों भक्त दर्शन करने के लिए आएंगे। बाबा खाटू श्याम किसी की कोई मन्नत पूरी करेंगे तो किसी की खाली झोली को भर देंगे लेकिन क्या आप जानते हैं बाबा खाटू श्याम के दो भक्त ऐसे भी हैं जिनका बाबा से इतना ज्यादा लगाव था कि बाबा का पट बंद होने के बाद भी अपने आप ही खुल जाते हैं।

भक्त के आते ही अपने आप खुल गया मंदिर का ताला

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हम बात कर रहे हैं रेवाड़ी के रहने वाले श्याम बहादुर और खाटू श्याम के ही रहने वाले आलू सिंह महाराज की। जो बाबा के 2 सबसे बड़े भक्त थे। मंदिर से जुड़े महंत मोहन दास का कहना है कि रेवाड़ी के श्याम बहादुर का जन्म रेवाड़ी में 1876 में हुआ। जो बचपन से ही बाबा खाटू श्याम के दर्शनों के लिए खाटू आते थे। एक बार वह रेवाड़ी से खाटू तक 200 किलोमीटर का सफर पैदल ही तय कर दर्शन करने के लिए पहुंचे थे। श्याम बहादुर बाबा की एक खास बात थी की पदयात्रा के दौरान वह ने तो पानी पीते और नहीं खाना खाते बस हाथ में। साल 1944 में जब श्याम बहादुर मंदिर में दर्शन करने के लिए पहुंचे तो मंदिर के पट बंद थे। श्याम बहादुर नहीं यहां आने के बाद काफी मिन्नत की लेकिन किसी ने भी मंदिर नहीं खोला। फिर क्या था थक हार कर श्याम बहादुर ने अपने हाथ में ली हुई मोर पंख को मंदिर के ताले पर लगाया और फिर अचानक मंदिर का ताला खुल गया।

मन्नत पूरी हुई तो भक्त ने चढ़ा दी अपनी एक आंख

बाबा श्याम बहादुर से जुड़ा गुस्सा एक यह भी है कि एक बार वह बाबा खाटू श्याम के मंदिर में खड़े हुए थे। इसी दौरान एक अंधा भक्त वहां आया जिसने मन्नत मांगी थी उसकी आंखों की रोशनी मिल जाए। इसके बाद श्याम बहादुर ने भगवान की प्रतिमा की तरफ देख कहा कि भगवान भले ही मेरी एक आंख ले लो लेकिन इस की रोशनी लौटा दो। फिर क्या था कुछ देर बाद ही श्याम बहादुर ने अपनी दाहिनी आंख निकाल कर भक्तों को दे दी।

7 साल से गायब बच्चा अचानक आ गया सामने

बाबा खाटू श्याम के दूसरे अनोखी भक्त हैं आलू सिंह। जो खाटू कस्बे में ही रहने वाले थे। इनका जन्म 1916 में हुआ। साल 1972 में चुरू जिले का एक परिचित आलू सिंह जी को एक कीर्तन में आसाम ले गया। उसी दौरान कीर्तन में एक महिला आई। जब उसे रोते हुए देख आलू सिंह जी से रहा नहीं गया तो आलू सिंह ने उससे पूछा कि क्यों रो रही हो। ऐसे में महिला ने कहा कि उसका बेटा 7 साल से गायब है। इसके बाद आलू सिंह ने कहा कि रात 1 बजे तेरा बच्चा कीर्तन में तेरी आंखों के सामने होगा। फिर जैसे ही रात के 1 बजे आलू सिंह उठे और कीर्तन में ही बैठे एक युवक को उठाकर कहा कि यही तुम्हारा बेटा है। जितना दुलार है वह कर ले और हकीकत में वह उसी महिला का बेटा था।

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