राजस्थान के सीकर जिले से झकझोर देने वाली खबर सामने आई है। जहां माता पिता की एनिवर्सरी के दिन उनके इकलौते बेटे 4 महीने के मासूम की मौत हो गई। मासूम सरकार और डॉक्टरों की राइट टू हेल्थ बिल की लड़ाई में मारा गया है। क्योंकि उसे समय पर इलाज नहीं मिला।
सीकर. राजस्थान में बीते 2 महीने से हो रहे राइट टू हेल्थ बिल का जमकर विरोध होने के बाद भी सरकार ने आखिरकार 21 मार्च को इसे विधानसभा में पारित कर दिया। बिल के विरोध में प्राइवेट हॉस्पिटल 4 दिन से पूरी तरह से बंद पड़े हैं। इसके अलावा अब सरकारी हॉस्पिटल में भी डॉक्टर ने 2 घंटे का कार्य बहिष्कार करना शुरू कर दिया। ऐसे में अब राजस्थान में चिकित्सा क्षेत्र में हालात बद से बदतर होने जा रहे हैं। ढीली पड़ी चिकित्सा व्यवस्था से अब राजस्थान में चिकित्सा के अभाव में लोगों की मौत होना शुरू हो चुकी है। ऐसा ही एक मामला सीकर जिले से सामने आया है। यहां एक 4 महीने के बच्चे की इलाज न मिलने के कारण मौत हो गई।
खुशी का पल बना जिंदगी का सबसे दुखद दिन
इस घटना में सबसे ज्यादा दुख की बात तो यह है कि जिस दिन 4 महीने के बच्चे की मौत हुई उसी दिन उसके मां-बाप की शादी के सालगिरह थी। पति-पत्नी दोनों ही सालगिरह को लेकर मन ही मन खुशियां मना रहे थे। क्योंकि अब वह दो से तीन जो गए थे। लेकिन उन्हें क्या पता था कि जिस दिन वह एक हुए थे उसी दिन उनकी संतान उनसे हमेशा के लिए दुनिया छोड़कर अलविदा कह जाएगी।
मासूम को लेकर दर-दर भटकते रहे माता-पिता
दरअसल सीकर के लक्ष्मणगढ़ इलाके के रहने वाले जितेंद्र और उर्मिला के यहां 4 महीने पहले बेटे का जन्म हुआ। पिछले करीब 3 - 4 दिनों से उनके बेटे रुबिन की तबियत खराब थी। कल दोनों पति पत्नी उसे लेकर सीकर आए। यहां एक सरकारी हॉस्पिटल के डॉक्टर ने उन्हें कहा कि इसकी हालत ज्यादा खराब है इलाज के लिए इससे जयपुर ले जाइए। लेकिन जयपुर में भी प्राइवेट हॉस्पिटल बंद रहने के चलते परिजन इधर से उधर भटकते रहे। और आखिरकार एंबुलेंस में ही रूबिन ने आखिरी सांस ली....माता-पिता अपने फूल से बच्चे का चेहरा फोन पर देखकर बुरी तरह से बिलख रहे हैं।