राजस्थान में यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में छात्रसंघ चुनाव न कराने का निर्णय लिया गया है। देर रात उच्च शिक्षा विभाग की बैठक के बाद यह फैसला लिया गया है। इसका छात्र नेता और कार्यकर्ता विरोध कर रहे हैं।
राजस्थान। प्रदेश की यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में इस बार छात्रसंघ चुनाव नहीं होने वाले हैं। देर रात हुई उच्च शिक्षा विभाग की मीटिंग में इसका निर्णय हुआ है। इस फैसले के बाद अब राजस्थान में छात्र नेता सड़कों पर उतरना शुरू हो चुके हैं। देर रात जैसे ही मीटिंग में यह निर्णय हुआ इसके बाद सैकड़ों छात्र राजस्थान यूनिवर्सिटी कैंपस के बाहर जुटकर विरोध जताने लगे।
अब छात्रसंघ चुनाव में सांसद, विधायकी चुनाव जैसे खर्च हो रहे पैसे
हाल ही में एक से दो दिन पहले सीएम अशोक गहलोत ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि अब छात्र संघ चुनाव पहले की तरह नहीं रहे। अब छात्र संघ चुनाव में भी सांसद और विधायकों के चुनाव की तरह पैसा खर्च किया जाता है। लिंगदोह कमेटी के नियमों की पालना नहीं की जाती है। ऐसे में अब उच्च शिक्षा विभाग की मीटिंग में छात्रसंघ चुनाव नहीं करवाने पर भी फैसला लिया गया है।
ये भी पढ़ें. राजस्थान में 200 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी AIMIM, किसे फायदा किसे नुकसान, जानें ओवैसी का प्लान
सर्वसम्मति से छात्रसंघ चुनाव न कराने का फैसला
इस बैठक में शामिल हुए प्रदेश के कई यूनिवर्सिटी के कुलपतियों ने हवाला दिया है कि चुनाव में लाखों रुपए खर्च होते हैं। यहां तक कि जिनका कोई हिसाब-किताब तक नहीं रह पाता है। उच्च शिक्षा विभाग में यह मीटिंग रात को करीब 12 से 1 बजे तक चली। इसके बाद सर्वसम्मति से चुनाव नहीं करवाने का निर्णय लिया गया।
ये भी पढ़ें. लड़कियों से छेड़खानी करने वालों पर सख्ती, सरकार ने दिया ये नया फरमान
दिसंबर में होने वाला विधानसभा चुनाव हो सकता है कारण
राजनीतिक जानकारों की मानें तो कहीं ना कहीं राजस्थान में इस बार चुनाव नहीं होने का एक मुख्य कारण दिसंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव भी है। क्योंकि वर्तमान में सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी एनएसयूआई का ज्यादातर समय राजस्थान यूनिवर्सिटी में कब्जा रहा है। बीते साल यहां एनएसयूआई में टिकट वितरण को लेकर काफी वाद विवाद भी हुआ। ऐसे में सरकार किसी भी हाल में नहीं चाहती कि चुनाव से पहले उनके समर्थक छात्र नेताओं और उनके कार्यकर्ताओं में किसी तरह की फूट पड़े।