माता-पिता अपने बच्चों का करियर बनाने कि लिए क्या-क्या नहीं करते। लेकिन प्रयागराज के एक पिता ने बेटी को नीट में मोटिवेट करने के लिए खुद ने परीक्षा की तैयारी की। इतना ही नहीं उन्होंने बेटी के साथ नीट मेडिकल एग्जाम क्लियर भी कर लिया।
कोटा (राजस्थान). बच्चों को आगे बढ़ाने के लिए माता-पिता तरह-तरह से उनको मोटिवेट करते हैं। कोई लेटेस्ट रीडिंग मैटेरियल लेकर आता है तो कोई बच्चों की इच्छा पूरी करने के लिए जुट जाता है। लेकिन एक डॉक्टर पिता ने अपनी बेटी को प्रेरणा देने के लिए ऐसी कहानी रच दी कि अब उनकी हर कोई तारीफ कर रहा है।
प्रयागराज से पिता बेटी को मोटिवेट करने आए थे कोटा...
दरअसल, प्रयागराज के रहने वाले डॉक्टर प्रकाश खेतान ने अपनी बेटी मिता खेतान को पढ़ाने के लिए कोटा भेजा था। वह बेटी को डॉक्टर बनाना चाहते थे और कोटा में नीट की तैयारी करने के लिए बेटी को भेजा गया था। लेकिन कुछ दिन कोटा में रहने के बाद मीता को यहां से डर लगने लगा । आए दिन सुसाइड की खबरें और नेगेटिव एक्टिविटीज ने उसे कोटा और पढ़ाई से दूर कर दिया ।वह चुपचाप अपने घर लौट गई और पिता को कहा कि वह कोटा रहकर नहीं पढ़ सकती, ना ही उसे नीट की तैयारी करनी है।
बेटी ने नीट देने से मना किया तो पिता भी करने लगे तैयारी
बेटी को इस हालत में देखकर एक बार तो डॉक्टर प्रकाश खेतान को भी चिंता होने लगी। लेकिन उन्होंने कुछ दिन बेटी को टाइम दिया और उसके बाद उसे फिर से नीट की तैयारी करने के लिए प्रेरित किया। बेटी ने नीट की तैयारी करने से इनकार किया तो पिता ने भी साथ ही नीट की तैयारी की । पिता ने बेटी को प्रेरणा दी। दोनों ने मिलकर पढ़ाई शुरू कर दी, हालांकि इस बार तैयारी उन्होंने प्रयागराज से ही की।
बेटी के 90% नंबर और पिता 89% नंबर
इस साल जून में दोनों की परीक्षाएं हुई और बाद में दोनों का परिणाम आया । पता चला मीता 90% नंबर लाइन और उसके पिता 89% नंबर लेकर आए । दोनों ने एक साथ परीक्षा पास की। उल्लेखनीय है कि कोटा का माहौल इन दिनों लगातार डरने वाला होता जा रहा है। इस साल कोटा में अब तक 27 छात्रों की मौत हो चुकी है। इनमें से अधिकतर ने सुसाइड किया है। यह लोग नीट और इंजीनियरिंग की तैयारी करने के लिए देश के अलग-अलग हिस्सों से कोटा पहुंचे थे।
डॉक्टर प्रकाश खेतान एक जानी-मानी हस्ती
आपको बता दें कि डॉक्टर प्रकाश खेतान एक जानी-मानी हस्ती है । उनका नाम गिनीज बुक ऑफर रिकॉर्ड में भी दर्ज है। साल 2011 में उन्होंने 18 साल की एक लड़की के दिमाग से 8 घंटे तक लगातार सर्जरी करते हुए करीब 300 सिस्ट निकाले थे । वह जटिल सर्जरी करने में माहिर है । उन्होंने 1992 में सीपीएमटी की परीक्षा पास करके अपनी डॉक्टरी लाइफ को स्टार्ट किया था।