स्विगी ने किया एक फैसला: जयपुर में ऑनलाइन खाना हो गया महंगा, जानें कितना

Published : Aug 16, 2025, 01:41 PM IST
dishes to decorate your food plate

सार

Swiggy Platform Fee: स्विगी ने हर ऑर्डर पर प्लेटफॉर्म फीस 14 रुपये कर दी है, जो 2023 में 2 रुपये थी। बीते दो वर्षों में यह शुल्क 600% बढ़ गया है। कंपनी के मुताबिक, बढ़ती लागत और क्विक कॉमर्स के घाटे की भरपाई के लिए यह कदम उठाया गया है। 

Swiggy Online Food Order : देश की प्रमुख फूड डिलीवरी कंपनी स्विगी ने एक बार फिर प्लेटफॉर्म शुल्क बढ़ा दिया है। अब ग्राहकों को हर ऑर्डर पर 14 रुपये अतिरिक्त देने होंगे। इससे पहले कंपनी अक्टूबर 2024 में यह शुल्क 10 रुपये कर चुकी थी, जिसे अब 2 रुपये और बढ़ा दिया गया है। बीते दो वर्षों में देखा जाए तो प्लेटफॉर्म फीस में करीब 600 प्रतिशत की बढ़ोतरी की जा चुकी है। राजस्थान में ऑनलाइन खाना बुलाने वालों के लिए अब यह ऑर्डर महंगा पड़ेगा।

स्वीगी रोजाना करती है 20 लाख ऑर्डर प्रोसेस

लगातार बढ़ रही है लागत स्विगी का दावा है कि बढ़ती परिचालन लागत और क्विक कॉमर्स डिवीजन इंस्टामार्ट के खर्चे इस वृद्धि की बड़ी वजह हैं। कंपनी फिलहाल रोज़ाना लगभग 20 लाख ऑर्डर प्रोसेस करती है। ऐसे में महज 2 रुपये की बढ़ोतरी से भी प्रतिदिन करोड़ों रुपये की अतिरिक्त आय कंपनी को हो सकती है।

क्या घाटे में चल रही है स्वीगी कंपनी?

घाटे में चल रही कंपनी कंपनी ने वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून 2025) में 1,197 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा दर्ज किया है। यह पिछले साल की समान तिमाही के 611 करोड़ रुपये के घाटे से लगभग दोगुना है। स्टॉक एक्सचेंज में दी गई फाइलिंग के मुताबिक, पिछली तिमाही (जनवरी-मार्च 2025) में भी स्विगी को 1,081 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। विश्लेषकों का मानना है कि बढ़ता घाटा रोकने के लिए ही कंपनी प्लेटफॉर्म शुल्क बढ़ाकर अतिरिक्त आमदनी जुटाने की कोशिश कर रही है।

जोमैटो ने भी बढ़ा दी अपनी फीस

 स्विगी की तरह उसके प्रतिद्वंद्वी जोमैटो ने भी पिछले दो वर्षों में कम से कम पांच बार शुल्क बढ़ाया है। अनुमान है कि इस अवधि में जोमैटो के शुल्क में लगभग 400 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। दोनों कंपनियों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा के बावजूद उपभोक्ताओं पर लगातार अतिरिक्त बोझ डाला जा रहा है।

उपभोक्ताओं और रेस्टोरेंट पर असर

  • ऑनलाइन डिलीवरी पर लगने वाले भारी कमीशन और प्लेटफॉर्म फीस का सीधा असर उपभोक्ताओं की जेब पर पड़ रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, रेस्तरां संचालकों को 30 से 35 प्रतिशत तक कमीशन चुकाना पड़ता है। नतीजतन, मेनू की दरें बढ़ाकर यह भार ग्राहकों पर डाला जाता है। यही कारण है कि रेस्टोरेंट में बैठकर खाने की तुलना में ऑनलाइन ऑर्डर करना अब औसतन 50 प्रतिशत तक महंगा हो चुका है।
  • उपभोक्ताओं में नाराज़गी ग्राहकों का कहना है कि बार-बार शुल्क बढ़ने से ऑनलाइन ऑर्डर की आदत महंगी होती जा रही है। वहीं, आलोचकों का तर्क है कि शुल्क बढ़ाने के बावजूद कंपनियां अपने डिलीवरी कर्मचारियों की आय और सुविधाओं में सुधार नहीं कर पा रही हैं।

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