
सोमवार का दिन उत्तर प्रदेश की सियासत में एक बार फिर भारी पड़ा। रामपुर की एमपी/एमएलए कोर्ट ने सपा नेता आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम को फर्जी पैन कार्ड मामले में दोषी ठहराते हुए 7-7 साल की सजा सुना दी। फैसले के कुछ मिनट बाद ही कोर्ट परिसर में पुलिस ने दोनों को हिरासत में ले लिया। दो महीने पहले सीतापुर जेल से रिहा हुए आजम और नौ महीने पहले हरदोई जेल से लौटे अब्दुल्ला अब फिर जेल जाएंगे।
यह मामला वर्ष 2019 में तब सामने आया, जब भाजपा नेता आकाश सक्सेना ने सिविल लाइंस थाने में शिकायत दर्ज कराई। आरोप था कि चुनाव लड़ने की पात्रता नहीं होने के बावजूद अब्दुल्ला को चुनाव में उतारने के लिए:
अदालत ने सभी कागजी साक्ष्यों की जांच के बाद दोनों को दोषी पाया।
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फैसला आते ही कोर्ट ने:
सजा की अवधि 5 साल से ज्यादा होने के कारण दोनों को फिर जेल भेजा जाएगा।
शिकायत दर्ज कराने वाले भाजपा विधायक आकाश सक्सेना ने अदालत के फैसले को सच्चाई की जीत बताया। उनका कहना है कि:
“आजम खान के खिलाफ जितने भी मामले चल रहे हैं, वे सभी दस्तावेजी सबूतों पर आधारित हैं। किसी भी केस में ऐसा नहीं है कि सबूत न हों। गलत किया है तो सजा मिलनी ही चाहिए।”
उनके इस बयान से राजनीतिक माहौल में नई बहस शुरू हो गई है।
कानूनी विशेषज्ञों के मुताबिक:
यह फैसला आजम खान के राजनीतिक भविष्य पर भी बड़ा असर डाल सकता है।
अदालत का फैसला आने के बाद अब अगला कदम हाईकोर्ट में अपील होगा।कानूनी टीम:
क्या वहां से राहत मिलेगी? यह आने वाले कुछ हफ्तों में साफ होगा।
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