
सुबह-सुबह कंधे पर भारी बैग लटकाए, किताबों के बोझ से झुके बच्चे अब उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों में कम दिखाई देंगे। राज्य सरकार ने बच्चों की सीखने की शैली को बदलने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। अब साल में 10 दिन ऐसे होंगे जब बच्चे स्कूल आएंगे, लेकिन बैग नहीं। कोई किताब नहीं, कोई कॉपी नहीं, बस सीखने का नया और रोचक तरीका। यह पहल नई शिक्षा नीति NEP 2020 के तहत शुरू की गई है, जिसका उद्देश्य है बच्चों को रटने की प्रणाली से बाहर निकालकर अनुभवात्मक और कौशल आधारित सीखने की ओर ले जाना।
उत्तर प्रदेश सरकार ने 6वीं से 8वीं तक के बच्चों के लिए 10 दिन का Bagless School Program शुरू किया है। इसका लक्ष्य है बच्चों पर पढ़ाई का बोझ कम करना और उन्हें ऐसा माहौल देना जहां वे स्वतंत्र होकर सीख सकें।
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SCERT ने इस कार्यक्रम के लिए ‘आनंदम’ गाइडलाइन जारी की है। नाम की तरह ही इस योजना का फोकस बच्चे को सीखने का आनंद देना है। इन दिनों में बच्चे सिर्फ पढ़ाई नहीं, बल्कि अनेक गतिविधियों के माध्यम से नई बातें सीखेंगे। इन गतिविधियों को इस तरह डिजाइन किया गया है कि बच्चा सोच सके, समझ सके और अपनी रचनात्मकता का उपयोग कर सके।
इन 10 बैगलेस दिनों में स्कूलों में बच्चों के लिए कई महत्वपूर्ण और मजेदार सेशन आयोजित किए जाएंगे:
बच्चों को वे कौशल सिखाए जाएंगे जो भविष्य में उन्हें वास्तविक जीवन में मदद करें।
थीम आधारित गतिविधियों के जरिए बच्चे कल्पनाशक्ति को उड़ान देंगे।
बच्चों को बाहरी दुनिया की समझ देने के लिए ट्रिप कराई जाएगी, जिससे वे किताबों से बाहर असली सीख पा सकें।
टीमवर्क, नेतृत्व और संचार कौशल विकसित करने के लिए समूह आधारित गतिविधियां होंगी।
बैगलेस स्कूल कार्यक्रम के सबसे खास तत्वों में से एक है शनिवार।इस दिन बच्चे आउटडोर गेम्स, पिकनिक, स्पीच, डिबेट और कई रोचक गतिविधियों में भाग लेंगे। यह दिन बच्चों को पढ़ाई के तनाव से बाहर निकालकर ताजगी भरा अनुभव देगा। सरकार का मानना है कि इस कार्यक्रम से बच्चों का मानसिक दबाव कम होगा और वे पढ़ाई को बोझ नहीं, बल्कि एक अनुभव की तरह देखेंगे। यह पहल बच्चों को अपनी रुचियों को पहचानने, मित्रता बढ़ाने और आत्मविश्वास विकसित करने में मदद करेगी।
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