
CM Yogi Adityanath UP Vision 2047 : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'विकसित भारत @2047' के विज़न को साकार करने की दिशा में उत्तर प्रदेश सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रदेश को वर्ष 2047 तक विकसित राज्य बनाने का संकल्प लिया गया है। इस दिशा में बुधवार को लखनऊ स्थित लोक भवन में 'विजन डॉक्यूमेंट 2047' के लिए विजन डॉक्यूमेंट तैयार करने के लिए एक-दिवसीय ओरिएंटेशन वर्कशॉप का आयोजन हुआ। वर्कशॉप में प्रमुख सचिव नियोजन ने 'समर्थ उत्तर प्रदेश-विकसित उत्तर प्रदेश @2047' संकल्प का पूरा खाका प्रस्तुत किया।
नियोजन विभाग के प्रमुख सचिव आलोक कुमार ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रेजेंटेशन के माध्यम से बताया कि प्रदेश सरकार 'समर्थ उत्तर प्रदेश-विकसित उत्तर प्रदेश @2047' के लिए एक विज़न डॉक्यूमेंट तैयार कर रही है, जिसमें तीन प्रमुख थीम हैं पहला 'अर्थ शक्ति', दूसरा 'सृजन शक्ति' और तीसरा 'जीवन शक्ति'।
कृषि पशुधन संरक्षण औद्योगिक विकास आईटी एवं उभरती तकनीक पर्यटन, नगर एवं ग्राम्य विकास अवस्थापना संतुलित विकास समाज कल्याण स्वास्थ्य शिक्षा और सुरक्षा एवं सुशासन को केंद्र में रखा गया है। 2047 तक देश को 30 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने का संकल्प प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लिया गया है। इस महान संकल्प में उत्तर प्रदेश भी 2047 तक अपनी अर्थव्यवस्था को 6 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने के लिए संकल्पबद्ध है।
ओरिएंटेशन वर्कशॉप के पश्चात 400 प्रबुद्धजन अपने-अपने आवंटित जनपदों में जाकर 8 व 9 सितम्बर 2025 को दो दिवसीय प्रवास करेंगे। इस दौरान वे छात्रों, शिक्षकों, किसानों, उद्यमियों, स्वयंसेवी संगठनों और आम नागरिकों से संवाद करेंगे। इस दौरान वह प्रदेश की पिछले 8 वर्षों की विकास यात्रा से लोगों को अवगत कराएंगे। राज्य के भविष्य के रोडमैप पर चर्चा होगी और नागरिकों से फीडबैक लेकर उसे नीति निर्माण के 'विजन डॉक्यूमेंट' में शामिल करेंगे। इस अभियान का संचालन 5 सितम्बर से 05 अक्टूबर 2025 तक किया जाएगा। जन-जागरूकता बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर प्रचार-प्रसार होगा, जिसमें जिले, तहसील और ब्लॉक स्तर पर होर्डिंग लगाई जाएंगी। प्रमुख अखबारों में विज्ञापन प्रकाशित होंगे। रेडियो, टीवी और सोशल मीडिया पर प्रचार किया जाएगा। ग्राम पंचायत स्तर पर गोष्ठियां आयोजित होंगी।
विषय विशेषज्ञ भी देंगे सुझाव प्रदेश सरकार ने इस अभियान के लिए एक विशेष फीडबैक पोर्टल भी विकसित किया है। इसमें नागरिक QR कोड स्कैन कर अपनी राय दर्ज करा सकेंगे। लक्ष्य है कि प्रदेश के हर परिवार से कम से कम एक फीडबैक प्राप्त हो। चुनिंदा सुझावों को प्रदेश की क्षेत्रीय रणनीति में शामिल किया जाएगा। इस अभियान में विषय विशेषज्ञ, नीति आयोग, औद्योगिक दिग्गज भी शामिल होंगे। जनता में से किसान, महिला, सूक्ष्म और लघु उद्योग और ट्रेडर्स से विशेष रूप से फीडबैक लिया जाएगा।
इस कार्यशाला में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम और कैबिनेट मंत्रियों समेत प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से लगभग 400 प्रबुद्धजन, जिनमें सेवानिवृत्त आईएएस, आईपीएस, वन सेवा, कृषि, सिंचाई, शिक्षा, स्वास्थ्य, वैज्ञानिक एवं अभियंत्रण सेवाओं से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।
रिटायर्ड रेलवे अफसर विजय कुमार दत्त ने कहा कि प्रदेश में 78 हजार किलोमीटर लंबे मार्गों को रेलवे लाइनों के साथ मैप करना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि थर्मल पावर प्लांट्स को न्यूक्लियर पावर प्लांट्स में बदलने की दिशा में कदम उठाए जाने चाहिए।
संस्कृत प्रोफेसर विपिन त्रिपाठी ने विकास योजना में भारतीय परंपराओं को शामिल करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि योजना को 12 माह और 12 राशियों से जोड़कर देखा जा सकता है और संस्कृत विद्या को इसमें प्रमुखता दी जानी चाहिए।
रिटायर्ड रेलवे अधिकारी शैलेन्द्र कपिल ने सुझाव दिया कि दूध उत्पादों का देशव्यापी प्रसार और मिठाई उद्योग को बढ़ावा दिया जाए। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की मिठाइयों की प्रसिद्धि को देश के अन्य राज्यों तक पहुंचाना होगा।
पूर्व प्रोफेसर ए.के. जयंतली ने बताया कि बैरन लैंड पर छोटे-छोटे टाउनशिप बनाए जाने चाहिए ताकि गांव भी विकसित हों। उन्होंने खेती की जमीन पर शहरीकरण को रोकने, उच्च शिक्षा में “एंड्रोगोगी” पद्धति अपनाने और स्किल डेवलपमेंट पर जोर देने की बात कही।
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