
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था लंबे समय तक कमजोर स्थिति में रही। 2017 से पहले स्कूलों में शिक्षक तो थे, लेकिन उनके पास न तो पर्याप्त प्रशिक्षण था और न ही आधुनिक संसाधन। ज़्यादातर स्कूलों में न पुस्तकालय थे और न ही खेलकूद या डिजिटल शिक्षा जैसी सुविधाएं। ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों को तो बुनियादी पढ़ाई की सामग्री तक आसानी से नहीं मिलती थी। विद्यालयों का निरीक्षण भी लगभग बंद-सा था और शिक्षकों को पढ़ाने के लिए जरूरी साधन नहीं मिलते थे। इसी वजह से साक्षरता दर और पढ़ाई की गुणवत्ता दोनों प्रभावित होती थीं।
2017 में योगी सरकार ने सत्ता संभालने के बाद शिक्षा को सुधारने का काम मिशन मोड में शुरू किया। सरकार ने कमज़ोरियों को समझते हुए ‘निपुण भारत मिशन’, ‘पीएम श्री विद्यालय’, ‘विद्या समीक्षा केंद्र’ और ‘डिजिटल स्टूडियो’ जैसी योजनाएं शुरू कीं। इनसे प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में नई दिशा और ऊर्जा आई। अब स्कूल सिर्फ पढ़ाई तक सीमित नहीं, बल्कि डिजिटल शिक्षा, विज्ञान, खेलकूद और पर्यावरण जागरूकता के केंद्र बन गए हैं।
सरकार का लक्ष्य है कि 2026-27 तक हर बच्चा प्राथमिक स्तर पर पढ़ना-लिखना और गिनती अच्छे से सीख सके। अब तक 48,061 स्कूलों को ‘निपुण विद्यालय’ घोषित किया जा चुका है। यह पहले की स्थिति से बिल्कुल अलग है, जब बच्चों की नींव कमजोर रह जाती थी।
2017 से पहले शिक्षकों को प्रशिक्षण और तकनीकी मदद बहुत कम मिलती थी। अब 4.33 लाख शिक्षकों और शिक्षामित्रों को प्रशिक्षण दिया गया है। 2.61 लाख शिक्षकों को टैबलेट मिले हैं। इसके आलावा टीचर्स को मैथ्स की किट, TLM, बिग बुक्स, संदर्शिका और शिक्षक डायरी भी दी गई है, जिसने क्लास में पढ़ाई को और प्रभावी बनाया है।
पहले शिक्षा का मुख्य साधन सिर्फ ब्लैकबोर्ड था। आज 25,790 स्कूलों में स्मार्ट क्लास चल रही हैं। 4,688 स्कूलों और 880 विकासखंडों में आईसीटी लैब्स बनाई गई हैं। पीएम श्री योजना के तहत 1,129 स्कूलों में स्मार्ट क्लास और डिजिटल लाइब्रेरी शुरू हुई हैं। लखनऊ में ₹10 करोड़ की लागत से डिजिटल स्टूडियो बना है और विद्या समीक्षा केंद्र से स्कूलों की निगरानी डेटा आधारित तरीके से हो रही है।
पहले निरीक्षण केवल औपचारिकता भर था। अब हर विकासखंड में एआरपी, हर जिले में एसआरजी और डायट मेंटर्स स्कूलों का नियमित सहयोगात्मक निरीक्षण करते हैं। शिक्षक संकुल बैठकें एजेंडा आधारित होती हैं और उनमें अच्छी शिक्षण पद्धतियां साझा की जाती हैं।
पीएम श्री विद्यालय आधुनिक सुविधाओं और नई शिक्षण पद्धतियों के मॉडल बन रहे हैं। इनमें लाइब्रेरी, खेल सामग्री, प्रोजेक्ट-बेस्ड लर्निंग, स्मार्ट क्लास और डिजिटल लाइब्रेरी उपलब्ध हैं। राष्ट्रीय आविष्कार अभियान के तहत 88,500 बच्चों को शैक्षिक भ्रमण कराया गया है। 2025-26 में 150 मेधावी छात्रों को इमरी, बार्क, अहमदाबाद और गांधीनगर जैसे संस्थानों का दौरा कराया जाएगा। सभी 10 मंडलों में साइंस पार्क भी बन रहे हैं।
पहले स्कूलों में पर्यावरण से जुड़ी गतिविधियां नहीं होती थीं। अब हर स्कूल में इको क्लब बनाए गए हैं। “एक पेड़ मां के नाम” अभियान के तहत 27 लाख पौधे लगाए गए हैं।
पहले माध्यमिक विद्यालयों में प्रयोगात्मक शिक्षा की कमी थी। अब गणित किट, खोजी बॉक्स, टीएलएम प्रदर्शनी, शैक्षिक भ्रमण और उपचारात्मक शिक्षा शुरू की गई है। शिक्षकों और प्रधानाचार्यों को लगातार प्रशिक्षण दिया जा रहा है। अंग्रेजी, गणित और विज्ञान विषयों के लिए एसआरजी समूह बनाए गए हैं।
पहले खेल सुविधाएं सिर्फ कुछ स्कूलों तक सीमित थीं। अब हर प्राथमिक स्कूल को ₹5,000 और उच्च प्राथमिक स्कूल को ₹10,000 खेल सामग्री के लिए मिल रहे हैं। 45,614 स्कूलों में समर कैम्प आयोजित किए गए हैं, जिनसे बच्चों को खेल, कला, संस्कृति और टीमवर्क का अनुभव मिला है।
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