राम मंदिर के उद्घाटन में अब कुछ दिन बचे हैं। 22 जनवरी को पीएम मोदी राम लला की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे। इसमें कई वीआईपी और वीवीआईपियों को निमंत्रण दिया गया है। राम मंदिर उद्घाटन का आमंत्रण देवरहा बाबा को भी भेजा गया है। जानें कौन हैं ये संत…
अयोध्या। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए अय़ोध्यानगरी सज रही है। 22 जनवरी को राम मंदिर उद्घाटन किया जाएगा। इसे लेकर तमाम विशिष्टजनों को भी आमंत्रण पत्र भेज दिया गया है। बड़ी संख्या में वीआईपी और वीवीआईपी लोग राम लला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होंगे। इस कार्यक्रम के लिए देवरहा बाबा को भी विशेष आमंत्रण भेजा गया है।
राम मंदिर के लिए खास निमंत्रण पत्र
राम मंदिर के लिए खास निमंत्रण पत्र भी बनवाया गया है। इस निमंत्रण पत्र के साथ एक बुकलेट भी भेजी जा रही है। इस बुकलेट में राम मंदिर आंदोलन में शामिल तमाम साधु-संतों और आंदोलन में बलिदान हुए लोगों के बारे में भी जानकारी दी गई है। इस विशिष्ट बुकलेट का नाम 'संकल्प' दिया गया है।
बुकलेट में देवरहा बाबा का नाम
राम मंदिर की बुकलेट 'संकल्प' में रामानुज परम्परा के संत ब्रह्मलीन देवरहा बाबा को भी स्थान दिया दिया गया है। देवरहा बाबा ने 1989 के कुम्भ मेले के दौरान राम मंदिर आंदोलन का समर्थन किया था। ऐसे में राम मंदिर उद्घाटन का निमंत्रण देवरिया जिले के मईल स्थित ब्रह्मऋषि देवरहा बाबा आश्रम भी भेजा गया है। आश्रम के महंत श्याम सुंदर दास जी महाराज ने कार्यक्रम में शामिल होने की बात कही है। इस बुकलेट में देवरहवा बाबा का नाम और फोटो भी शामिल किया गया है।
देवरहा बाबा ने की थी राम मंदिर के लिए भविष्यवाणी
देवरहवा बाबा ने करीब 33 साल पहले 1989-90 में देवरहवा राम मंदिर को लेकर भविष्यवाणी की थी जो आगे चलकर सच साबित हुई। उन्होंने यह भी कहा था कि सभी की सहमति से राम मंदिर बनेगा और इसके निर्माण में कोई भी बाधा नहीं आएगी।
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कौन थे देवरहवा बाबा
देवरहा बाबा बेहद रहस्यमयी संत थे। कई बाबा की उम्र 250 साल बताता है तो कोई 500 साल। कहा जाता है कि देवरहा बाबा बेहद चमत्कारी बाबा थे। देवरहा बाबा तमाम सिद्धियां प्राप्त कर चुके थे। देवरहा बाबा सरयू नदी के किनारे देवरिया स्थि अपने आश्रम पर एक मचान बनाकर रहा करते थे। उनसे मिलने आने वाले श्रद्धालुओं को वह अपने पैरों से ही आशीर्वाद देते थे।
इंदिरा गांधी को दिया हाथ से आशीर्वाद तो बना पार्टी की निशान
देवरहा बाबा सभी को पैरों से ही आशीर्वाद देते थे। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी उनके दर्शन को पहुंची तो बाबा ने उन्हें हाथ से आशीर्वाद दे दिया। इसके बाद कांग्रेस ने पार्टी का चिह्न हाथ का पंजा ही रख दिया। कई सारे नेता और आम जन बाबा के दर्शन को जाया करते थे।