
गोरखपुर. भावुक और सोचने पर मजबूर करने वाली यह कहानी यूपी के गोरखपुर की कलावती की है, जो 2019 से वृद्धाश्रम में रह रही हैं। बेटे ने बेशक उन्हें घर से बाहर निकाला, लेकिन उन्होंने उसी की सुख-समृद्धि की कामना के लिए जितिया व्रत रखा है। कलावती कई सालों से यह व्रत रखते आ रही हैं। उन्हें वृद्धाश्रम में छोड़े जाने की वजह जो भी हो, लेकिन कलावती आज भी अपने परिवार को लेकर फिक्रमंद रहती हैं।
गोरखपुर की एक मां की इमोशनल कहानी और जितिया व्रत
गोरखपुर के देवरिया सदर तहसील क्षेत्र के करमेल गांव की रहने वालीं 68 वर्षीय कलावती देवी को उनके पति और एकलौता बेटा 2019 में झरवा बड़गो स्थित वृद्धाश्रम गोकुलधाम में छोड़ गए थे। तब से कलावती यही हैं। हालांकि उन्होंने कभी इसके लिए पति और बेटे को नहीं कोसा। वे हर साल बेटे की मंगल कामना के साथ जितिया व्रत रखती हैं। जितिया व्रत में बेटे की लंबी उम्र और निरोगी होने के लिए रखा जाता है। कलावती की मांग पर वृद्धाश्रम के अधीक्षक ने उन्हें नए वस्त्र, खाद्य सामग्री और अन्य पूजन सामग्री उपलब्ध कराई।
हालांकि कलावती के चेहरे पर अपने परिवार से दूर रहने का दु:ख अवश्य झलकता है, पर कुछ भी सवाल पूछने पर वे सिर्फ मुस्कराकर रह जाती हैं। कलावती जैसी और भी मांए हैं, जो अपने बच्चों के लिए व्रत रखती हैं।
क्या है जितिया व्रत और शुभ मूहूर्त?
जितिया व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त अष्टमी तिथि 6 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 34 मिनट से लेकर 7 अक्टूबर को सुबह 08 बजकर 08 मिनट तक रहेगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, जितिया व्रत संतान की प्राप्ति के साथ उनके कल्याण और रक्षा के लिए रखा जाता है। यह 24 घंटे का निर्जला व्रत होता है। इसमें भगवान विष्णु और सूर्य की पूजा की जाती है।
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